– शर्तों का पालन नहीं फिर भी संचालन
निजी कालेजों के संचालन के लिए सरकार ने जो शर्तें तय कर रखी हैं उनका पालन किए बिना धड़ल्ले के साथ कम्प्यूटर कालेज चल रहे हैं। अधिकांश दूरवर्ती शिक्षा पद्धति के आधार पर डिग्रियां बांट रहे हैं। एक बार जांच हुई तो कहा गया कि स्टडी सेंटर का संचालन हो रहा है। जबकि नियम है कि छात्रों को असुविधा नहीं हो इसलिए कार्यालय में उनके दस्तावेज ले सकते हैं, यहां पर कक्षाएं संचालित नहीं कर सकते। छोटे कमरों में हो रहे संचालन पर किसी भी तरह से मापदंडों का पालन नहीं हो रहा है। इन पर कार्रवाई के लिए जिन विभागों के पास अधिकार है, वह भी कुछ नहीं कर रहे हैं।
– पहले हुई थी जांच, ठोस कार्रवाई नहीं
पूर्व में संभागीय आयुक्त के निर्देश पर उच्च शिक्षा विभाग एवं विश्वविद्यालय के अधिकारियों की संयुक्त टीम ने शहर में संचालित कालेजों की जांच की थी। जिसमें कई जगह रातोंरात कम्प्यूटर कालेज बंद कर वहां से बोर्ड भी गायब कर दिए गए थे। कई दिनों तक शहर में हड़कंप मचा रहा लेकिन बाद में शासन स्तर पर रिपोर्ट मंगाई गई और कार्रवाई अब तक नहीं हुई है। धीरे-धीरे फिर से यह कारोबार तेज होता जा रहा है।
– छात्रवृत्ति घोटाले की शुरुआती इन्हीं कालेजों से हुई
छात्रवृत्ति घोटाले का बड़ा मामला रीवा जिले में आ चुका है। बीते साल ही इओडब्ल्यू ने करीब दो दर्जन की संख्या में लोगों के विरुद्ध एफआइआर दर्ज किया है। इसमें कम्प्यूटर कालेज चलाने वालों की संख्या अधिक है। शुरुआती दौर में एक या दो कमरों में चलने वाले कालेजों ने अब शहर के बड़े संस्थान का रूप ले लिया है। इसलिए इनके विरुद्ध लगातार शिकायतें आ रही हैं कि यहां पर बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा होता है।
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हर संस्थान पर निगरानी की व्यवस्थाएं हैं। कम्प्यूटर कालेजों के नाम पर यदि कोई फर्जीवाड़ा हो रहा है तो इसकी रिपोर्ट कलेक्टरों से मंगाएंगे। शिक्षा माफिया चिन्हित करने का कार्य जिला स्तर पर चल रहा है।
डॉ. अशोक कुमार भार्गव, संभागायुक्त रीवा
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