भगवान भोलेनाथ की पूजा मूर्ति और शिवलिंग के रुप में की जाती है। हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार, किसी भी खंडित मूर्ति का पूजन अशुभ माना जाता है लेकिन भगवान शिव ब्रह्मरुप हैं और उनका पूजन हर रुप में किया जा सकता है। यही कारण है कि शिवलिंग किसी स्थान से टूट भी जाए, तो उसे बदलने की परंपरा नहीं होती है।
धर्म शास्त्रों के अनुसार, भगवान शिव का ना कोई आदि है और ना ही अंत। दरअसल, शिवलिंग को ही शिवजी का निराकार रुप माना जाता है। वहीं, मूर्ति को उनका साकार रुप माना जाता है। भगवान शिव को निराकार रुप में ही पूजा की जाती है। यही कारण है कि शिवलिंग को कभी भी खंडित नहीं माना जाता है।
वहीं घर में पूजे जाने वाली किसी भी अन्य देवी-देवता की खंडित मूर्ति को रखना और पूजा जाना अशुभ माना जाता है। वास्तु के अनुसार, खंडित मूर्ति घर में नकारात्मकता लेकर आती है और उसका पूजन किया जाए तो घर में अशांति का कारण बन सकती है। यही कारण है कि खंडित मूर्ति का विसर्जन कर दिया जाता है या उसे पीपल के पेड़ के नीचे रख दिया जाता है।