पदमा एकादशी 2022 शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का प्रारंभ 06 सितंबर 2022, मंगलवार को सुबह 05:54 बजे होगा और इसकी समाप्ति 07 सितंबर 2022, बुधवार को सुबह 03:04 बजे होगी। वहीं पदमा एकादशी व्रत का पारण 7 सितंबर को सुबह 08:19 से सुबह 08:33 बजे किया जाएगा।
पदमा एकादशी व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, त्रेतायुग में एक बलि नाम का असुर था। वह भगवान विष्णु का परम भक्त था। दैत्य बलि विविध प्रकार के वेद सूक्तों से विष्णु जी का पूजन किया करता था। साथ ही प्रतिदिन उसके द्वारा ब्राह्मणों का पूजन तथा यज्ञ का आयोजन किया जाता था। हालांकि उस दैत्य ने इंद्रदेव से द्वेष के कारण इंद्रलोक सहित सभी देवताओं को जीत लिया था। उससे त्रस्त होकर सभी बृहस्पतिदेव और इन्द्र आदि सभी देवता एक साथ भगवान के पास पहुंचे और उनके सामने सिर झुकाकर स्तुति करने लगे। इसके बाद विष्णु जी ने वामन रूप धारण कर लिया।
तत्पश्चात वामन रूपधारी ब्रह्मचारी विष्णु भगवान, राजा बलि से तीन पग भूमि की याचना करते हुए बोले कि, ‘हे राजन्! ये तीन पग भूमि मेरे लिए तीन लोक के बराबर है और यह तुम्हें मुझे अवश्य ही देनी होगी।’ राजा बलि ने वामन रूपधारी की इस याचना को बहुत तुच्छ समझकर तीन पग भूमि देने का संकल्प कर लिया। इसके बाद विष्णु जी ने अपने त्रिविक्रम रूप को बड़ा करके सत्यलोक में मुख और उसके ऊपर मस्तक, भूलोक में अपना पैर, भुवर्लोक में जांघ, जनलोक में हृदय, स्वर्गलोक में कमर, मह:लोक में अपना पेट और यमलोक में कंठ को स्थापित कर दिया।
वहीं उस दौरान सभी देवताओं, गणों, योग, नक्षत्र आदि सबने विविध प्रकार से वेद सूक्तों से विष्णु भगवान से प्रार्थना की। तब श्रीविष्णु ने राजा बलि का हाथ पकड़कर कहा कि, ‘हे राजन्! एक पग से ये धरती, दूसरे से स्वर्गलोक तो पूरे हो गए परंतु अब मैं अपना तीसरा पग कहां रखूं?’ इस बात पर बलि ने अपना सिर झुका लिया तो विष्णु जी ने अपना पैर उसके मस्तक पर रख दिया जिससे बलि पाताल लोग में गमन कर गया। लेकिन वामन रूपधारी भगवान विष्णु ने बलि की नम्रता को देखकर कहा कि, ‘हे बलि! मैं हमेशा ही तुम्हारे निकट रहूंगा। इस बाद भाद्रपद शुक्ल एकादशी के दिन बलि के आश्रम पर विष्णु भगवान की मूर्ति स्थापित हुई।
वहीं इसी एकादशी पर भगवान विष्णु शयन करते हुए क्षीरसागर में शेषनाग पर करवट बदलते हैं, इसलिए तीनों लोकों के स्वामी भगवान विष्णु का पदमा एकादशी के दिन पूजन शुभ होता है। इसके अलावा ज्योतिष अनुसार परिवर्तनी एकादशी के दिन दही, तांबा और की वस्तु, चावल का दान करना फलदायी माना गया है। जो भक्त विधिपूर्वक इस एकादशी का व्रत करता है और पदमा एकादशी की कथा सुनता या पढ़ता है उसके जीवन के सभी कष्ट समाप्त हो जाते हैं।
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