ये भी पढ़ें- मनोकामना महादेव : ब्रह्मेश्वर नाथ का चमत्कार देख उल्टे पांव लौटा था मोहम्मद गजनी दरअसल, जल चढ़ाने की वजह समुद्र मंथन (
samudra manthan ) से जुड़ी हुई है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, सावन महीने में ही समुद्र मंथन हुआ था। समुद्र मंथन के दौरान विष निकला था। कहा जाता है कि अगर वह विष धरती पर आ जाता तो पूरी सृष्टि संकट खत्म हो जाती। सृष्टि को बचाने के लिए महादेव ने विष पान किया। बताया जाता है कि विष पान के कारण ही उनका कंठ नीला पड़ गया। यही कारण है कि महादेव को नीलकंठ भी कहा जाता है।
ये भी पढ़ें- Sawan 2019 : एक ऐसा स्थल, जहां होता है शिव-शक्ति का मिलन कथा के अनुसार, देवी-देवताओं ने विष का प्रभाव और ताप करने के लिए उन पर जल अर्पित किया ताकि उन्हें राहत मिले। कहा जाता है कि यही कारण है कि सावन में भगवान शिव पर जल चढ़ाया जाता है। माना जाता है कि ऐसा करने से भोलेनाथ की विशेष कृपा मिलती है।
ये भी पढ़ें- सावन में 6 धाराओं से करें अभिषेक, सभी मनोकामना पूर्ण करेंगे भगवान शिव दूसरी मान्यता है कि सावन महीने में ही भगवान शिव ससुराल जाने के लिए पृथ्वी पर अवरित हुए थे। कहा जाता है कि जब वे ससुराल पहुंचे थे, तब उनका स्वागत जलाभिषेक से हुआ था। मान्यता है कि हर वर्ष सावन महीने में ससुराल जाने के लिए भगवान शिव पृथ्वी पर अवरित होते हैं। यही कारण है कि सावन महीने में जलाभिषेक किया जाता है।