दसलक्षण पर्व का महत्व
जैन धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पर्युषण यानी दसलक्षण पर्व विभिन्न धार्मिक क्रियाओं द्वारा आत्मशुद्धि करने और जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति पाने का एक प्रयास है क्योंकि माना जाता है कि जब तक अशुभ कर्मों के बंधन से मनष्य नहीं छूटेगा तब तक मोक्ष की प्राप्ति नहीं की जा सकती है। यह जीवन में नया बदलाव लाने का पर्व है। जैन धर्म के अनुसार 10 दिनों के दसलक्षण पर्व के दौरान दस धर्मों जैसे उत्तम क्षमा, उत्तम मार्दव, उत्तम आर्जव, उत्तम शौच, उत्तम सत्य, उत्तम संयम, उत्तम तप, उत्तम त्याग, उत्तम आकिंचन एवं उत्तम ब्रह्मचर्य को धारण करने की प्रथा है। वहीं मान्यता है कि यह पर्युषण पर्व व्यक्ति को क्रोध, लालच, मोह-माया, ईर्ष्या, असंयम आदि विकारों से मुक्त होने की प्रेरणा देता है।
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