बुरी संगति
जिस प्रकार टोकरी का एक सड़ा हुआ सेब बाकी के फलों को भी खराब कर देता है। उसी तरह आचार्य चाणक्य कहते हैं कि बुरे लोगों का साथ आपके ऊपर गलत असर डालता है। जिससे आप भी बुरे कार्यों को करने की गलती कर बैठते हैं। इसलिए युवाओं को नशा करने वाले, लालची, लड़ाई-झगड़ा करने वाले लोगों से दूर ही रहना चाहिए। ऐसे लोगों से दोस्ती करने से ये आपकी छवि ही समाज में खराब नहीं करते बल्कि आपको अपने लक्ष्य से भी भटका सकते हैं।
क्रोध और लालच
चाणक्य नीति के अनुसार युवावस्था बहुत ही नाजुक होती है। इसमें अच्छी आदतें जहां मनुष्य का जीवन संवार सकती हैं वहीं अगर युवाओं के भीतर क्रोध और लालच जैसी भावनाएं पनपने लग जाएं तो ये आपके सोचने-समझने की शक्ति पर हावी हो जाती हैं। जिससे युवक-युवतियां अपनी कामयाबी के रास्ते में खुद ब खुद रोड़ा पैदा कर लेते हैं।
आलसीपन
आलस्य मनुष्य का बहुत बड़ा दुश्मन है। चाणक्य नीति कहती है कि जवानी में मेहनत करने वाला व्यक्ति अपने करियर के शिखर तक पहुंच सकता है। लेकिन अगर युवावस्था में आलस्य में रहने वाले व्यक्ति का समय भी साथ नहीं देता और आपका भविष्य अंधकारमय हो सकता है।
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