धार्मिक ग्रंथों के अनुसार सफला एकादशी के दिन भगवान के अच्युत स्वरूप, श्रीहरि स्वरूप का पूजन करना चाहिए। मान्यता है कि सफला एकादशी की रात जागरण से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। इसी के साथ सफला एकादशी के मंगलकारी व्रत को पूरे विधि विधान से करने से मनुष्य को मृत्यु के बाद विष्णु लोक की प्राप्ति होती है और इस जीवन में सभी सुख सुविधापूर्ण जीवन जीने का मौका मिलता है।
सफला एकादशी पूजन विधि
1. दूसरी एकादशी की तरह ही इसका भी विधान है, सफला एकादशी के दिन स्नान के बाद व्रत का संकल्प लें।
2. इसके बाद भगवान अच्युत और भगवान विष्णु को धूप, दीप, फल और पंचामृत आदि अर्पित कर पूजा करें।
3. नारियल, सुपारी, आंवला, अनार और लौंग आदि जरूर अर्पित करें।
4. ऊं नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप कर सफला एकादशी की कथा सुनें।
5. रात जागरण कर श्री हरि के नाम के नाम का कीर्तन करें।
6. अगले दिन फिर पूजा पाठ कर किसी जरूरतमंद व्यक्ति या ब्राह्मण को भोजन कराकर, दान-दक्षिणा देकर व्रत का पारण करें।