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Til Dwadashi 2025: तिल द्वादशी पर तिल दान से मिलता है अश्वमेध यज्ञ का फल, नारद पुराण से जानें तिल दान का लाभ और कैसे लगाएं भोग

Til Dwadashi 2025: 26 जनवरी 2025 को माघ कृष्ण द्वादशी यानी तिल द्वादशी 2025 है। इस तिथि पर तिल सेवन, दान हवन का विशेष महत्व है। मान्यता है कि तिल दान से अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता है। ज्योतिषी अनीष व्यास से आइये जानते हैं तिल दान का लाभ और इस दिन भगवान विष्णु को कैसे लगाएं तिल का भोग (kaise lagaye bhog)

नई दिल्लीJan 26, 2025 / 08:24 am

Pravin Pandey

Til Dwadashi 2025 Puja Vidhi

Til Dwadashi 2025 Puja Vidhi: तिल द्वादशी पूजा विधि और उपाय

Til Dwadashi 2025 Upay: शास्त्रों में माघ मास की प्रत्येक तिथि का महत्व धार्मिक पर्व की तरह बताया गया है। इन तिथियों पर तीर्थ स्नान मात्र से भगवान विष्णु प्रसन्न हो जाते हैं, लेकिन एकादशी और द्वादशी ऐसी 2 तिथि हैं जो भगवान विष्णु को समर्पित हैं। इन तिथियों पर भगवान की पूजा विशेष पुण्यफल प्रदान करती है।

जयपुर के ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास के अनुसार तिल द्वादशी पर पानी में तिल मिलाकर स्नान से तीर्थ स्नान का पुण्यफल मिलता है। इसके अलावा पुराणों में माघ कृष्ण द्वादशी यानी तिल द्वादशी तिथि पर भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान बताया गया है। आइये जानते हैं तिल द्वादशी पर कैसे करें पूजा और तिल द्वादशी के उपाय..


नारद पुराण से कैसे करें तिल से पूजा (Til Dwadashi Mahatv)

नारद और स्कंद पुराण के अनुसार षटतिला एकादशी के अगले दिन माघ महीने के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि पर तिल दान विशेष शुभ फलदायक होता है। इस दिन द्वादशी व्रत किया जाता है और सूर्योदय से पहले उठकर तीर्थ स्नान करना चाहिए।
तीर्थ स्नान न कर पाएं तो घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर नहाएं और तिल मिले जल से भगवान विष्णु का अभिषेक कर अन्य पूजन सामग्री से पूजा करें और तिल चढ़ाएं । पूजा के बाद तिल का ही नैवेद्य लगाएं और उसका प्रसाद लोगों को बांटें।
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रविवार को तिल द्वादशी पूजा विधि (Til Dwadashi 2025 Puja Vidhi)

डॉ. अनीष व्यास के अनुसार ज्योतिष ग्रंथों में वर्णन है कि बारहवीं तिथि यानी द्वादशी के स्वामी भगवान विष्णु हैं। इस दिन रविवार रहेगा, रविवार के देवता सूर्य हैं। इसलिए रविवार को पड़ रहे तिल द्वादशी पर व्रत और स्नान-दान का कई गुना अधिक पुण्य फल मिलेगा। आइये जानते हैं तिल द्वादशी पूजा विधि
  • डॉ. व्यास के अनुसार तिल द्वादशी तिथि पर सूर्योदय से पहले उठकर तिल मिला पानी पीना चाहिए, फिर तिल का उबटन लगाएं। इसके बाद पानी में गंगाजल के साथ तिल डालकर नहाना चाहिए। पूजा से पहले व्रत और दान का संकल्प लें।
  • फिर ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करते हुए पंचामृत और शुद्ध जल से विष्णु भगवान की मूर्ति का अभिषेक करें। इसके बाद फूल और तुलसी पत्र फिर पूजा सामग्री चढ़ाएं।
  • इस दिन तिल से हवन करें। फिर भगवान विष्णु को तिल का नैवेद्य लगाकर प्रसाद में तिल खाने चाहिए और दूसरों को बांट दें। इस तिथि पर तिल दान करने अश्वमेध यज्ञ और स्वर्णदान करने जितना पुण्य मिलता है। मान्यता है कि जाने-अनजाने हुए हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं।

तिल दान के लाभ, तिल द्वादशी के उपाय (Til Dan Labh Career Upay)

सुख प्राप्ति उपाय

डॉ. अनीष व्यास के अनुसार तिल द्वादशी व्रत से हर सुख और वैभव मिलता है। यह व्रत कलियुग के हर पाप का नाश करता है।
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दुर्भाग्य से मुक्ति

तिल द्वादशी के दिन तिल दान करने से जीवन में व्याप्त परेशानियों का अंत होता है। तिल द्वादशी को तिल दान करने से दुःख, दर्द, दुर्भाग्य और कष्टों से मुक्ति मिलती है।


करियर को नए आयाम (Career Upay)

तिल द्वादशी के दिन तिल युक्त पानी से स्नान करने और स्नान ध्यान कर तिलांजलि देने से करियर को नया आयाम मिलता है। धार्मिक मान्यता है कि पितृ के प्रसन्न रहने से व्यक्ति जीवन में सबकुछ प्राप्त कर सकता है।

ज्योतिष पितृ को प्रसन्न करने के लिए अमावस्या और पूर्णिमा तिथियों को तिल तर्पण करने की सलाह देते हैं। साथ ही तिल द्वादशी को तिल दान अवश्य करें।

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पुण्यफल

माघ महात्म्य के अनुसार भगवान श्री हरि विष्णु माघ महीने में तीर्थ स्नान करने मात्र से ही भक्त से प्रसन्न होकर सभी पापों से मुक्त कर देते हैं। पद्म पुराण में बताया गया है कि तिल द्वादशी व्रत में ब्राह्मण को तिलों का दान, पितृ तर्पण, हवन, यज्ञ, करने से अश्वमेध यज्ञ करने जितना फल मिलता है।

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