इससे यदि उस व्यक्ति की शनि की साढ़े साती चल रही है तो उसको कष्ट नहीं देते। बल्कि वह व्यक्ति हनुमानजी की पूजा के साथ अपना आचरण ठीक रखे तो उसे बजरंग बली के साथ शनि देव की भी कृपा प्राप्त होती है और शनि देव उसकी तरक्की में मदद ही करते हैं। मान्यता है कि शनि पीड़ा से ग्रस्त हैं तो शनिवार को हनुमानजी के मंदिर जाकर उनकी पूजा कर हनुमानजी की आरती पढ़नी चाहिए।
यह भी मान्यता है कि हनुमानजी के भक्तों का शनि दोष दूर हो जाता है और शनि देव उन पर कृपा भी करते हैं। शनिवार को सुंदरकांड या हनुमान चालीसा का पाठ और हनुमानजी की आरती गाने से हनुमानजी प्रसन्न होते हैं और इसके चलते ऐसे भक्त पर शनिदेव भी कृपा करते हैं। शनि देव ऐसे भक्त को लाभ देने लगते हैं।
हनुमानजी की आरती (Hanumanji Ki Aarati)
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।
जाके बल से गिरिवर कांपे। रोग दोष जाके निकट न झांके।।
अंजनी पुत्र महाबलदायी। संतान के प्रभु सदा सहाई।।
दे बीरा रघुनाथ पठाए। लंका जारी सिया सुध लाए।।
लंका सो कोट समुद्र सी खाई। जात पवनसुत बार न लाई।।
लंका जारी असुर संहारे। सियारामजी के काज संवारे।।
लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे। आनि संजीवन प्राण उबारे।।
पैठी पताल तोरि जम कारे। अहिरावण की भुजा उखाड़े।।
बाएं भुजा असुरदल मारे। दाहिने भुजा संतजन तारे।।
सुर-नर-मुनि जन आरती उतारे। जै जै जै हनुमान उचारे।।
कंचन थार कपूर लौ छाई। आरती करत अंजना माई।।
लंकविध्वंस कीन्ह रघुराई। तुलसीदास प्रभु कीरति गाई।।
जो हनुमान जी की आरती गावै। बसी बैकुंठ परमपद पावै।।
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।। ये भी पढ़ेंः vikat sankashti chaturthi: इस वजह से गणेशजी की पूजा में भद्राकाल बेअसर, नौ अप्रैल को ही विकट संकष्टी चतुर्थी व्रत