नई दिल्ली। बजरंगबली की पूजा से शनि का प्रकोप शांत होता है लेकिन हनुमान जी की पूजा से यूं ही खुश नहीं हो जाते शनि महाराज। इनकी पूजा करने से सूर्य व मंगल के साथ शनि की शत्रुता व योगों के कारण उत्पन्न कष्ट भी दूर हो जाते हैं। हनुमान जयंती के अलावा मंगलवार-शनिवार हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए आदर्श दिन माने गए हैं। यह दोनों दिन उन्हें प्रिय हैं। आखिर इन दोनों के बीच रिश्ता ही ऐसा है जो शनि महाराज को खुश करने के लिए काफी है।
पराशर संहिता में हनुमान जी की शादी का उल्लेख मिलता है। उसके अनुसार यह माना जाता है कि हनुमान जी का विवाह सूर्य की पुत्री सुवर्चला से हुआ था। आंध्रप्रदेश के खम्मम में एक प्राचीन हनुमान मंदिर है जहां हनुमान जी के साथ उनकी पत्नी की भी मूर्ति विराजमान है। शास्त्रों के अनुसार शनि महाराज को सूर्य का पुत्र बताया गया है। इस नाते हनुमान जी की पत्नी सुवर्चला शनि महाराज की बहन हुई और इसी लिए सबके संकट दूर करने वाले हनुमान जी भाग्य के देवता शनि महाराज के बहनोई हुए।
हनुमान जी से जुड़े कुछ और किस्से… एक बार भगवान राम के गुरु विश्वामित्र किसी कारणवश हनुमानजी से गुस्सा हो गए और उन्होंने प्रभु राम को हनुमान जी को मौत की सजा देने को कहा था। भगवान राम ने ऐसा किया भी क्योंकि वह गुरु को माना नहीं कर सकते थे लेकिन सजा के दौरान हनुमान जी राम नाम जपते रहे और उनके ऊपर प्रहार किए गए सारे शस्त्र विफल हो गए।
बहुत कम लोग जानते हैं कि हनुमान जी भगवान शंकर का अवतार हैं और वह अपनी माता के श्राप को हरने के लएि पैदा हुए थे। कहते हैं लंका कांड शुरू होते ही हनुमान जी ने हिमालय जाकर वहां के पहाड़ों पर अपने नाखूनों से रामायण लिखनी शुरू कर दी थी। जब रामायण लिखने के बाद वाल्मिकी जी को ये पता चला तो वह हिमालय गए और वहां पर लिखी रामायण पढ़ी।