प्रेम स्वार्थ जन्य नहीं, परमार्थ जन्य होना चाहिए : आचार्य चंद्रयश
होसकोटे हाईवे मार्ग पर स्थित नवनिर्मित जय जीरावला तीर्थ में आचार्य चंद्रयश सूरीश्वर ने होसकोटे जैन संघ के श्रद्धालुओं को संबोधित करते कहा कि परमात्मा से संबंध जोड़ना है तो जीवन में पांच बातों को जीवन में अपनाना होगा। प्रेम, प्रसन्नता, पवित्रता, पुण्य कार्य और परिणति तत्वों को जीवन में अपनाना है। प्रेम स्वार्थ जन्य […]
होसकोटे हाईवे मार्ग पर स्थित नवनिर्मित जय जीरावला तीर्थ में आचार्य चंद्रयश सूरीश्वर ने होसकोटे जैन संघ के श्रद्धालुओं को संबोधित करते कहा कि परमात्मा से संबंध जोड़ना है तो जीवन में पांच बातों को जीवन में अपनाना होगा। प्रेम, प्रसन्नता, पवित्रता, पुण्य कार्य और परिणति तत्वों को जीवन में अपनाना है। प्रेम स्वार्थ जन्य नहीं बल्कि परमार्थ जन्य होना चाहिए। पैसे कमाने के पीछे जितना पुरुषार्थ रहता है, उतना परमात्मा की भक्ति करने का पुरुषार्थ नहीं होता है। इसका मुख्य कारण पैसे से प्रेम है। परमात्मा से प्रेम करना चाहिए।आचार्य ने कहा कि होसकोटे नगर में पुण्यशाली लाभार्थी परिवार ने जिनशासन को तीर्थ भेंट किया है। प्रथम तीर्थाधिपति ऋषभदेव भगवान को वेदिका पर विराजमान किया गया। जीरावला दादा की अंजनश्लाका प्राण-प्रतिष्ठा उत्सव का विधान होगा। 16 जनवरी से प्रतिष्ठा उत्सव शुरू होगा। 16 और 17 जनवरी को अंजनश्लाका संबंधित पूजा-पूजन का आयोजन होगा। 18 जनवरी को जन्म बधाई, नामकरण, लग्न आदि कार्यक्रम होंगे। 19 जनवरी को दीक्षा कल्याणक का वरघोड़ा का आयोजन और 20 जनवरी परमात्मा की प्राण प्रतिष्ठा होगी।
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