जयपुर के ज्योतिषी डॉ अनीष व्यास के अनुसार रामचरितमानस में भगवान राम के गुणों का बखान किया गया है। लेकिन रामचरितमानस के सुंदरकांड में भगवान राम के भक्त के गुणों और उनकी विजय के बारे में बताया गया है। उनकी संघर्ष और सोच के बारे में बताया गया है। साथ ही मुश्किल परिस्थितियों का हल कैसे निकाला जाए इसका जिक्र है, जो पढ़ने वालों का आत्मविश्वास बढ़ता है और उसके जीवन में सकारात्मकता लाता है।
डॉ. व्यास के अनुसार मनोवैज्ञानिकों का भी मानना है कि सुंदरकांड का पाठ भक्त के आत्मविश्वास और इच्छाशक्ति को बढ़ाता है। इसलिए मंगलवार शनिवार को सुंदरकांड का पाठ और परीक्षा में सफलता के लिए एग्जाम से पहले इस धार्मिक प्रेरक पुस्तक का पाठ स्टूडेंट्स को पॉजिटिविटी से भर सकता है, जिससे वे बड़ी से बड़ी समस्या का हल चुटकियों में निकाल सकते हैं। साथ ही अपने लक्ष्य को पा सकते हैं। नकारात्मकता दूर रहती है, छात्र उत्साह से भरा रहता है और ऐसे भक्त को डिप्रेशन छू भी नहीं सकता है। आइये जानते हैं परीक्षा से पहल सुंदरकांड पाठ का क्या लाभ हो सकता है।
दूर रहती है नकारात्मकता
ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास के अनुसार शनिदेव हनुमानजी के भक्तों को परेशान नहीं करते हैं। हनुमान जी की पूजा शनिदेव की दशा के दुष्प्रभाव को कम करने के उपायों में से एक है। यदि आप शनिवार को सुंदरकांड का पाठ करते हैं तो बजरंगबली तो प्रसन्न होंगे ही, शनिदेव भी आपको शुभ फल देंगे। सुंदरकांड का पाठ करने वाले भक्त को हनुमान जी बल प्रदान करते हैं, उसके आसपास भी नकारात्मक शक्ति भटक नहीं सकती। ये भी पढ़ेंः Surya Rashi Parivartan: गुरु की राशि से सूर्य फैमिली में मचाएंगे उथल-पुथल, इन 3 राशि के लोगों को धन मामले में भी रहना होगा सतर्क हर मनोकामना होती है पूरी
डॉ. अनीष व्यास के अनुसार मान्यताओं के अनुसार सुंदरकांड गोस्वामी तुलसीदास द्वारा लिखी गई रामचरितमानस के सात अध्यायों में से पांचवां अध्याय है। मान्यता है कि सुंदरकांड का पाठ करने वाले भक्त की मनोकामना जल्दी पूरी होती है। रामचरित मानस के सभी अध्याय भगवान की भक्ति के लिए हैं, लेकिन सुंदरकांड का महत्व अधिक बताया गया है।
मिलता है मोटिवेशन
motivational book: डॉ. अनीष व्यास के अनुसार सुंदरकांड का पाठ करने वाले भक्त को हनुमान जी बल प्रदान करते हैं। उसके आसपास भी नकारात्मक शक्ति भटक नहीं सकती। यह भी माना जाता है कि जब भक्त का आत्मविश्वास कम हो जाए या जीवन में कोई काम ना बन रहा हो तो सुंदरकांड का पाठ करने से सभी काम अपने आप ही बनने लगते हैं।
बढ़ेगा आत्मविश्वास
डॉ. अनीष व्यास के अनुसार सुंदरकांड के महत्व को मनोवैज्ञानिकों ने भी बहुत खास माना है। शास्त्रीय मान्यताओं में ही नहीं, विज्ञान ने भी सुंदरकांड के पाठ के महत्व को समझाया है। विभिन्न मनोवैज्ञानिकों की राय में सुंदरकांड का पाठ भक्त के आत्मविश्वास और इच्छाशक्ति को बढ़ाता है। इस पाठ की एक.एक पंक्ति और उससे जुड़ा अर्थ भक्त को जीवन में कभी ना हार मानने की सीख प्रदान करता है। मनोवैज्ञानिकों के अनुसार किसी बड़ी परीक्षा में सफल होना हो तो परीक्षा से पहले सुंदरकांड का पाठ अवश्य करना चाहिए।
कर्मफलदाता शनि की कृपा
Shani ki dasha ke Upay: ज्योतिषाचार्य व्यास के अनुसार शनिदेव स्वयं हनुमानजी के भक्त हैं। ऐसा माना जाता है कि जिन जातकों पर शनि की ढैय्या फिर साढ़ेसाती चल रही हो, वे अगर रोजाना सुंदरकांड का पाठ करें तो शनि की महादशा का दुष्प्रभाव कम होता है। शनि बिना कुछ बुरा किए इस पूरी महादशा की अवधि को गुजार देते हैं।