ऐसे में आज हम आपको अंक ज्योतिष में अंक 1 के संबंध में बता रहे हैं। जानकारों के अनुसार अंक ज्योतिष में भाग्यांक को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। भाग्यांक का अर्थ है आपके जीवन का वह महत्वपूर्ण अंक जिसको आप जीवन में अपनाकर अपने भाग्य को मज़बूत करके जीवन में सफलता की नई उचाईयां छू सकतें हैं।
भाग्यांक जानने के लिए, जन्म तारीख, जन्म माह और जन्म वर्ष की आवश्यकता होती है।
उदाहरण – भाग्यांक जानने के लिए हम इस गणना को करते हैं जैसे किसी व्यक्ति का जन्म 16 अक्टूबर 1982 को है, तो उस जातक का भाग्यांक नीचे बताये गए तरीके से निकाला जाता है।
जन्म तारीख + जन्म मास + जन्म वर्ष = कुल योग
1 + 6 + 1 + 0 + 1 + 9 + 8 + 2 = 28
कुल योग = भाग्यांक
2 + 8 = 10 यानि 1 + 0 = 1
भाग्यांक 1 :
अंक ज्योतिष में भाग्यांक एक का स्वामी सूर्य ग्रह को माना गया है। इसके प्रभाव से इस अंक के जातक अपने कार्यक्षेत्र में चतुर, बलवान, बुद्धिमान, राजसी ठाटबाट को पसन्द करने वाले, स्पष्ट वक्ता होते हैं। स्वभाव से गम्भीर, उदार हृदय, परोपकारी, सत्य के मार्ग पर चलने वाले, यशस्वी तथा विरोधियों को परास्त करने में विश्वास रखने वाले शूरवीर व्यक्ति के रूप में पहचान स्थापित करते हैं।
इनका जीवन चक्र एक राजा की भाँति संचालित होता है अर्थात हुकूमत पसन्द, स्वतंत्र तथा स्थिर विचार एवं निर्भीक होते हैं। अहं या स्वाभिमान इनमें कूट – कूट कर भरा होता है। इनकी महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति, इनकी मेहनत से होती है।
सूर्य अग्नि तत्व का द्योतक होने से इनका तेज समाज के विभिन्न क्षेत्रों में व्याप्त होता है। जीवन शक्ति इनमें अच्छी होती है एवं दूसरों को प्रोत्साहित करने में कुशल होते हैं। इनका भाग्य उच्च श्रेणी का होने से एक दिन अपने श्रम, लगन , स्थिर प्रकृतिवश सर्वोच्चता को प्राप्त करते हैं। सूर्य प्रकाशित ग्रह होने से इनको हमेशा प्रकाश में रहना सुखकर लगता है, और ऐसे ही कार्यक्षेत्र को पसन्द करेंगे, जिसमें नाम तथा यश दोनों ही मिले।
: भाग्य देवता – विष्णु
: भाग्यांक स्वामी – सूर्य
: भाग्यशाली अंक – 1
: भाग्यशाली धातु – तांबा
: भाग्यशाली रंग – नारंगी
: भाग्यशाली वार – रविवार
: भाग्यशाली दिशा – पूर्व
भाग्य की मजबूती के लिए उपाय… .
: रोजाना उगते हुए सूर्य को पानी में थोड़ा गुड़ घोलकर सूर्य को अर्घ्य दे।
: आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ रविवार को करें।
: रविवार के दिन लाल मूख के बंदरों को गुड़ और गेहूं खिलाएं।
: विष्णु भगवान की आराधना करें।
।। ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ।।
इस मंत्र का नित्य 108 बार जाप करें।
: पिता और पितातुल्य व्यक्तिओं का सम्मान करें।
: सुबह सूर्योदय के पूर्व उठने की आदत डालें।