पंडित सुनील शर्मा के अनुसार ये वे पौराणिक पात्र या यूं कहे महान लोग हैं जिनके के बिना न तो रामायण की चर्चा पूरी हो सकती है और न ही महाभारत का ज्ञान। आज हम आपको उन्हीं पौराणिक पात्रों के बारे में बता रहे हैं, जिनके बिना ये दोनों ही महाकाव्य अधूरे से लगते हैं…
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1. मयासुर या मयदानवबहुत ही कम लोग जानते होंगे की रावण के ससुर यानी मंदोदरी के पिता मयासुर एक ज्योतिष तथा वास्तुशास्त्र थे। इन्होंने ही महाभारत में युधिष्ठिर के लिए सभाभवन का निर्माण किया जो मयसभा के नाम से प्रसिद्ध हुआ। इसी सभा के वैभव को देखकर दुर्योधन पांडवों से ईर्ष्या करने लगा था और कहीं न कहीं यही ईर्ष्या महाभारत में युद्ध का कारण बनी।
महान ऋषि महर्षि दुर्वासा रामायण में एक बहुत ही बड़े भविष्यवक्ता थे। इन्होंने ही रघुवंश के भविष्य सम्बंधी बहुत सारी बातें राजा दशरथ को बताई थी। वहीं दूसरी तरफ महाभारत में भी पांडव के निर्वासन के समय महर्षि दुर्वासा द्रोपदी की परीक्षा लेने के लिए अपने दस हजार शिष्यों के साथ उनकी कुटिया में पंहुचें थे।
अपने समय के सबसे बड़े ज्ञानी परशुराम को कौन नहीं जानता। माना जाता है कि परशुराम ने 21 बार क्षत्रियों को पृथ्वी से नष्ट कर दिया था। रामायण में उनका वर्णन तब आता है जब राम सीता के स्वंयवर में शिव का धनुष तोड़ते है जबकि महाभारत में वो भीष्म के गुरु बनते है तथा एक वक़्त भीष्म के साथ भयंकर युद्ध भी करते है। इसके अलावा वो महाभारत में कर्ण को भी ज्ञान देते है।
रामायण में प्रमुख भूमिका निभाने वाले भगवान हनुमान महाभारत में महाबली भीम से पांडव के वनवास के समय मिले थे। कई जगह तो यह भी कहा गया है कि भीम और हनुमान दोनों भाई हैं, क्योंकि भीम और हनुमान दोनों ही पवन देव के पुत्र थे।
5. जाम्बवंत
रामायण में जाम्बवंत का वर्णन राम के प्रमुख सहयोगी के रूप में मिलता है। जाम्बवन्त ही राम सेतु के निर्माण में प्रमुख भूमिका निभाते है। जबकि महाभारत में जाम्बवन्त, भगवान श्री कृष्ण के साथ 27 दिनों तक युद्ध करते हैं, किसी की हार जीत नहीं होने पर उन्हें यह पता चलता हैं कि श्रीकृष्ण, श्रीराम की ही तरह भगवान विष्णु के अवतार है, जिसके बाद वे अपनी बेटी जामवंती का विवाह श्रीकृष्ण के साथ कर देते है।