यूं तो ज्योतिष में पाप ग्रह राहु, केतु व शनि माने जाते हैं। लेकिन यहां ये समझ लेना अति आवश्यक है कि कई बार ये ही ग्रह आपके लिए उपयोगी होते हुए आपके उत्थान का कारण भी बनते हैं। ऐसे में केवल इन्हीं ग्रहों पर आरोप नहीं लगाया जा सकता। लेकिन अधिकांश इन ग्रहों का प्रभाव नकारात्मक ही देखने को आता है।
इस संबंध में ज्योतिष के जानकार पंडित सुनील शर्मा का कहना है कि सामान्यत: नौ ग्रहों में गुरु, सूर्य, मंगल, चंद्र, बुध व शुक्र को शुभ ग्रह माना जाता है। इसमें शुक्र दैत्यगुरु होने के बावजूद शुभ फल प्रदान करने वाले माने गए हैं। वहीं दुष्ट या पापी ग्रहों में राहु, केतु व शनि माने जाते है। इनमें शनि देव ग्रह होते हुए भी अपने व्यवहार व दंड के विधान के तहत क्रूरता के चलते इस श्रेणी में माने गए हैं।
पंडित शर्मा के अनुसार वैसे तो ग्रहों की स्थिति ही उनको शुभ या अशुभ श्रेणी प्रदान करती है। लेकिन सामान्यत: अधिकांश कर्मों के मामले में राहु, केतु के साथ ही शनि को पापी ग्रह माना जाता है।
माना जाता है कि ये 3 पापी ग्रह जहां जीवन को पाप के मार्ग पर ले जाते हैं। वहीं इनके ही प्रभाव से व्यक्ति न चाहते हुए भी कई तरह के पाप कर जाता है।
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ज्योतिष के अनुसार राहु एक पाप ग्रह है, वहीं राहु ग्रह को जहां कठोर वाणी, चोरी, दुष्ट कर्म, त्वचा के रोग,जुआ, धार्मिक यात्राएं आदि का कारक माना जाता है, वहीं यदि राहु वृषभ राशि में बैठा हो तो वह मदमस्त होकर शनि के गुण भी देता है। ज्योतिष में राहु ग्रह को किसी भी राशि का स्वामित्व प्राप्त नहीं है। परंतु राहु को मिथुन राशि में उच्च का माना जाता है।
राहु: यह देता है प्रभाव…
– राहु की अशुभता व्यक्ति का चरित्र पतन करने के साथ ही उसे नशे की ओर ले जाती है।
– शुभ राहु व्यक्ति को अद्भुत चमत्कारी शक्ति प्रदान करता है।
– राहु इंसान को षडयंत्रकारी बनाने के साथ ही लोगों को परेशान करने के लिए भी प्रेरित करता है।
– राहु की शुभ दशा में व्यक्ति आध्यात्म की नई राह खोज लेता है।
– राहु के नकारात्मक प्रभाव के कारण ही व्यक्ति धर्म और आध्यात्म से विमुख होता है।
– राहु के शुभ प्रभाव में व्यक्ति जन्म से ही सिद्ध रहता है।
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राहु के अशुभ असर को रोककर ऐसे बढ़ाएं शुभ प्रभाव –
– माना जाता है कि सात्विक आहार राहु की शुभता में वृद्धि करता है।
– राहु का नकारात्मक प्रभाव को घटाने के लिए अग्नि के समाने ही किचन में जमीन पर बैठकर भोजन करें।
– शिव जी की उपासना करें।
– राहु का दान करें।
– रोगियों और विकलांगों की सेवा करें।
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पापी ग्रहों में से एक मुख्य ग्रह शनि को भी माना जाता है। न्याय के देवता होने के बावजूद माना जाता है कि शनि का जिस किसी पर पाप प्रभाव पड़ता है उसका किसी भी काम में मन नहीं लगता। वहीं यहां ये भी समझ लें कि शनि जब पुण्य देते हैं तो इंसान खुद के साथ-साथ समाज का भी कल्याण करने वाला बनता है।
– शनि से प्रभावित व्यक्ति साफ-सफाई की ओर ध्यान न देते हुए बुरे कर्मों में ही फंसा रहता है।
– शनि के शुभ् प्रभाव से व्यक्ति ध्यान और धर्म से ईश्वर की ओर आकर्षित होने लगता है
– शनि का बुरे प्रभाव से व्यक्ति आलसी, अहंकारी, लापरवाह और कठोर हो जाता है।
– वहीं शनि के शुभ परिणाम से इंसान अनुशासित हो जाता है।
– शनि के नकारात्मक प्रभाव से बनते हुए काम रुकने या बिगड़ने शुरु हो जाते हैं।
– शनि के शुभ स्थिति में व्यक्ति हर किसी को अच्छाई की राह का पाठ पढ़ाता है।
शनि के अशुभ असर को रोककर ऐसे बढ़ाएं शुभ प्रभाव –
– किसी भी स्थिति में कोई भी गलत कार्य न करें।
– शनि का शुभ प्रभाव बढ़ाने के लिए माता काली,हनुमान जी और बाबा भैरव की पूजा करें।
– अपनी क्षमता के अनुसार दान करें।
– हर शनिवार पीपल की पूजा करें।
केतु के शुभ और अशुभ प्रभाव –
ज्योतिष में केतु एक पाप ग्रह माना गया है। जो अपनी खराब दिशा में व्यक्ति को भटकाव देता है और साथ ही उससे पाप भी करवाता है। लेकिन कभी-कभी यह ग्रह भी आपके लिए बड़ा शुभ फल देने वाला होता है, कुंडली में केतु जहां भी बैठता है उस स्थान को अत्यधिक बड़ा देता है, ऐसे में यदि केतु शुभ होकर बैठ जाता है तो हर जगह ऐसे जातक को भाग्य का साथ मिल जाता है।
केतु: यह देता है प्रभाव…
– केतु का अशुभ प्रभाव जातक को विधर्मी बना देता है।
– शुभ केतु व्यक्ति को सद्गुरू देता है और संत बनाता है।
– अशुभ केतु के प्रभाव में व्यक्ति हर कमी का दोष ईश्वर पर मढ़ देता है।
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केतु: शुभ प्रभाव बढ़ाने के उपाय –– रोज स्नान करके सुबह व शाम भगवान शिव की उपासना करें।
– हर बुधवार शाम को नाग मंदिर के दर्शन कर शिवचालीसा का पाठ करें।
– तीर्थ स्थानों और मंदिरों की यात्रा करें।