पुराणों में उल्लेख है कि कार्तिक पूर्णिमा को ही विष्णुजी का मत्स्यावतार हुआ था। स्कंदपुराण में इसे सद्बुद्धि प्रदान करने वाला तथा मां लक्ष्मी की साधना के लिए सर्वोत्तम दिन बताया गया है। इसीलिए देव दिवाली पर पूजा—पाठ व शुभ कर्म जरूर करना चाहिए। इससे कई गुना पुण्य फल प्राप्त होते हैं जोकि अक्षय रहते हैं।
इस दिन दीपदान का बहुत महत्व है। मान्यता है कि देव दीपावली के दिन सभी देवता गंगा घाट पर आकर दीप जलाते हैं। दीपदान से सभी तरह के कष्ट खत्म होते हैं। इस दिन दान का कई गुना फल मिलता है इसलिए यथासंभव अन्न, वस्त्र आदि दान करना चाहिए।
मदन पारिजात के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा के दिन सूर्योदय से पूर्व पावन जल से स्नान करना अति उत्तम माना गया है। कार्तिक पूर्णिमा पर व्रत रखने का भी बहुत महत्व है। इस दिन उपवास करने से अग्निष्टोम यज्ञ का फल प्राप्त होता है।
कार्तिक पूर्णिमा से प्रारम्भ करके हरेक पूर्णिमा को व्रत रखने और रात्रि जागरण से सभी मनोरथ सिद्ध होते हैं। पूर्णिमा पर ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करने पर अति शुभ फल की प्राप्ति होती है। इस दिन शालिग्राम और तुलसी की पूजा बहुत फलदायी होती है।
पूर्णिमा के दिन पूजा पाठ के साथ इंद्रिय संयम की भी अहमियत है। कार्तिक पूर्णिमा पर रात में जमीन पर सोना चाहिए। ऐसा करने से न केवल सात्विकता के भाव आते हैं बल्कि सभी प्रकार के रोग और विकार भी खत्म होते हैं।
पूर्णिमा के दिन श्रीसत्यनारायण कथा का बहुत महत्व होता है। इस दिन किसी की निंदा न करें, विवाद न करें, सुस्वादु भोजन के प्रति ज्यादा रुचि न दिखाएं और दिन में न सोएं। इससे लक्ष्मीजी की प्रसन्नता से धन संपत्ति प्राप्त होती है।