सारी दुनिया में देश का नाम रोशन करने वाले अटल जी ने अपनी ओजस्वी कविताओं के द्वारा सदैव भारत माता का गुणगान किया। उनका एक कविता… जीवन का सार बयान करती है-
राह कौन सी जाऊँ मैं?
चौराहे पर लुटता चीर
प्यादे से पिट गया वजीर
चलूँ आखिरी चाल कि बाजी छोड़ विरक्ति सजाऊँ?
राह कौन सी जाऊँ मैं?
सपना जन्मा और मर गया
मधु ऋतु में ही बाग झर गया
तिनके टूटे हुये बटोरूँ या नवसृष्टि सजाऊँ मैं?
राह कौन सी जाऊँ मैं?
दो दिन मिले उधार में
घाटों के व्यापार में
क्षण-क्षण का हिसाब लूँ या निधि शेष लुटाऊँ मैं?
राह कौन सी जाऊँ मैं ?
देश सेवा के लिए विवाह नहीं किया
भारतीय जनसंघ की स्थापना करने वालों में से एक अटल जी 1968 से 1973 तक जनसंघ के अध्यक्ष भी रहे । जीवन भर भारतीय राजनीति में सक्रिय रहने वाले अटल जी ने लम्बे समय तक राष्ट्रधर्म, पांचजन्य और वीर अर्जुन आदि राष्ट्रीय भावना से ओत-प्रोत अनेक पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया । अटल जी ने अपना जीवन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक के रूप में आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प लेकर प्रारम्भ किया था और देश के सर्वोच्च पद पर पहुँचने तक उस संकल्प को पूरी निष्ठा से निभाया। अटल जी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार के पहले प्रधानमन्त्री थे जिन्होने गैर कांग्रेसी प्रधानमन्त्री पद के 5 साल बिना किसी समस्या के पूरे किए ।
भारत के ग्यारहवें प्रधानमंत्री
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी- पहले 16 मई से 1 जून 1969, फिर 19 मार्च 1998 से 22 मई 2004 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे। अटल बिहारी वाजपेयी को विरासत में कविता और साहित्य मिले, यही कारण था की राजनीति में दिग्गज राजनेता, विदेश नीति में संसार भर में समादृत कूटनीतिज्ञ, लोकप्रिय जननायक और कुशल प्रशासक होने के साथ-साथ ये एक अत्यंत सक्षम और संवेदनशील कवि, लेखक और पत्रकार भी रहे हैं।
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