क्या है असुर विवाह?
यह विवाह आमतौर पर निर्धन परिवारों की कन्याओं के साथ ज्यादा होता था। इसमें कन्या पक्ष के लोग एक निश्चित मूल्य लेते थे और अपनी कन्या को वर पक्ष को सौंप देते थे। एक तरह से यह विवाह न होकर सौदा होता था।
कैसे किया जाता है असुर विवाह
जब कोई पुरुष कन्या के लायक नहीं होता था, तो वह अपने पैसों के दम पर उससे विवाह करने की क्षमता रखता था। हालांकि इस विवाह में कोई जोर-जबरदस्ती नहीं की जाती थी। कन्या पक्ष के घर वालों की अनुमति के साथ ही वर पक्ष उन्हें पैसा देता था। कन्या से पूछे बिना ही उसका विवाह एक अयोग्य आदमी से करवा दिया जाता था।
– पुरुष में किसी प्रकार का कोई दोष हो लेकिन फिर भी उसका विवाह कर दिया जाए।
– पुरुष कन्या पक्ष से निचली जाति का हो।
– पुरुष कोई गलत संगत में हो या नशा इत्यादि करता हो जिसके कारण उसका विवाह नहीं हो पा रहा हो, तो वह सौदा करके माता-पिता को मनाकर कन्या से विवाह कर ले।
– किसी अन्य कारण से पुरुष उस स्त्री के लायक ही ना हो, लेकिन पैसे के बलबूते पर उससे विवाह कर ही लेता है।