पश्चिम रेलवे ने मिशन रफ्तार के तहत लगभग 208 करोड़ रुपए की लागत से ट्रेनों के संचालन में संरक्षा को बढ़ावा देने के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी है। इससे अकेले रतलाम रेल मंडल में प्रतिदिन 150 यात्री ट्रेन में यात्रियों को सुरक्षा मिलेगी।
इन्होंने किया विकसित
कवच को मेधा सर्वो ड्राइव्स प्राइवेट लिमिटेड, एचबीएल पावर सिस्टम्स लिमिटेड और केर्नेक्स माइक्रोसिस्टम्स के सहयोग से भारतीय रेलवे (आइआर) के अनुसंधान डिजाइन और मानक संगठन (आरडीएसओ) ने विकसित किया है।
वहीं कुछ समय पहले ही पूर्व मध्य रेल (East Central Railway) द्वारा भी मिशन रफ्तार (Mission Raftaar) के तहत लगभग 208 करोड़ रुपये की लागत से पं. दीन दयाल उपाध्याय जं. से प्रधानखांटा तक ट्रेनों के संचलन में संरक्षा को बढ़ावा देने के लिए स्वदेशी स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली ‘कवच’ के अंतर्गत लाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। चार चरणों में पूरी होने वाली इस परियोजना के पहले चरण में सोननगर से गया का कार्य प्रारंभ होगा। इस पूरी परियोजना को वर्ष 2024 के अंत तक पूरा कर लेने का लक्ष्य है।
यह है कवच तकनीक
‘कवच’ एक टक्कर रोधी तकनीक है। यह प्रौद्योगिकी रेलवे को इंजन की आमने-सामने की दुर्घटना रोकने में मदद करेगी। यह प्रौद्योगिकी माइक्रो प्रोसेसर, ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम और रेडियो संचार के माध्यमों से जुड़ी रहती है। तय दूरी के भीतर उसी ट्रैक पर दूसरी ट्रेन का पता लगाती है तो ट्रेन के इंजन में लगे उपकरण के माध्यम से निरंतर सचेत करते हुए स्वचालित ब्रेक लगाने में सक्षम है।
इस तरह से काम करती है प्रणाली
लोको पॉयलट जब पूरी गति से ट्रेन को चला रहा हो तब ये खतरे के बारे में बताते हुए ब्रेकिंग सिस्टम को स्वचालित रूप से सक्रिय करता है। कवच प्रणाली मौजूदा सिग्नल सिस्टम के साथ संपर्क बनाए रखती है तथा इसकी जानकारी ट्रेन संचालन से जुड़े सभी कर्मचारियों को निरंतर देती है। यह प्रणाली किसी भी आपात स्थिति में स्टेशन एवं लोको ड्राइवर को सचेत करने और साइड, आमने-सामने व पीछे से होने वाली टक्करों की रोकथाम करने में सक्षम है।
‘कवच’ प्रणाली को पूरे पश्चिम रेलवे में लागू करने के लिए टेंडर जारी कर दिए गए हैं। इससे सबसे बड़ा लाभ ये होगा कि दिल्ली-मुंबई रेल मार्ग पूरी तरह से सुरक्षित हो जाएगा।
– विनीत गुप्ता, मंडल रेल प्रबंधक रतलाम