रतलाम में सर्वार्थ सिद्धि योग में मनेगी कार्तिक पूर्णिमा, होंगे अनेक आयोजन
कार्तिक पुर्णिमा पर रतलाम में अनेक आयोजन होंगे। इस बार 12 नवंबर को यह पर्व मनाया जाएगा। सर्वाथसिद्ध योग में मंदिरों से लेकर कालिका माता मंदिर के झाली तालाब किनारे अनेक आयोजन होंगे।
पूर्णिमा की धवल चांदनी रात में विभिन्न प्रकार के आयोजन हुए। इसमें लोगों ने श्रद्धापूर्वक भाग लिया।
रतलाम। कार्तिक पुर्णिमा 2019 पर रतलाम में अनेक आयोजन होंगे। इस बार 12 नवंबर को यह पर्व मनाया जाएगा। सर्वाथसिद्ध योग में मंदिरों से लेकर कालिका माता मंदिर के झाली तालाब किनारे अनेक आयोजन होंगे। यह मान्यता है कि इस दिन दीपक के दान से सकारात्मक उर्जा का प्रवेश होता है। रतलाम के पुजारी संजय दवे के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु ने अपना पहला मत्स अवतार लिया था, इसलिए कालिका माता सहित जिले के किसी भी नदी या तालाब में मछली के लिए किए गए दान से लाभ होगा।
VIDEO रतलाम में सड़क बदहाल, आयुक्त बोले गड्ढे भरो, कर्मचारियों ने कहा नहीं रुक रही बारिश IMAGE CREDIT: SK Munnaकार्तिक पूर्णिमा शुभ मुहूर्त रतलाम के पुजारी संजय दवे के अनुसार पंचाग के मुताबिक रतलाम में 12 नवंबर दिन मंगलवार को पूर्णिमा रात्रि 7.13 बजे तक है। वहीं अभिजीत मुहूर्त दोपहर 11 बजकर 12 बजे से 11 बजकर 55 बजे तक है। वहीं गुली काल मुहूर्त दोपहर 11 बजकर 33 बजे से 12 बजकर 55 बजे तक है। उदया तिथि के मान से पूरे दिन पूर्णिमा तिथि का मान रहेगा और पुरे दिन दीपदान के साथ भगवान विष्णु पूजन होंगे। रतलाम में विभिन्न मंदिरों में अन्नकुट का आयोजन होगा। इसके अलावा तालाब से लेकर नदी के किनारे दीपदान होंगे।
14 ट्रेन में स्थायी रुप से लगाए अतिरिक्त डिब्बे, यात्रियों को प्रतिक्षा के टिकट … IMAGE CREDIT: JK Bhatiभगवान विष्णु की बरसेगी की कृपा रतलाम के पुजारी संजय दवे के अनुसार पूर्णिमा तिथि पर स्नान व दान से भगवान विष्णु की अपार कृपा बरसती है। मान्यता है कि इस तिथि पर दान से पापों से मुक्ति मिलती है व शरीर निरोगी रहती है। जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है। इसी दिन भगवान विष्णु ने अपना पहला अवतार मत्स्य अवतार के रूप में लिया था। अखण्ड दीप दान करने से दिव्य कान्ति की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही जातक को धन, यश, कीर्ति में भी लाभ होता है। कार्तिक पूर्णिमा देवों की उस दीपावली में शामिल होने का अवसर देती है, जिसके प्रकाश से प्राणी के भीतर छिपी तामसिक वृत्तियों का नाश होता है।