यहां जांच टीम ने पाया कि ट्रेक से इतनी गुट्टी बह चुकी थी कि अगर समय रहते उसपर संज्ञान न लिया जाता तो संभवत: कोई ट्रेन हादसे का शिकार हो सकती थी। इसके बाद रेलवे इंजीनियरिंग, ऑपरेटिंग, सिग्नल और अन्य विभागों के अधिकारी तुरंत ही ट्रैक की मरम्मत में जुट गए।
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इधर गोधरा की चरफ जाने वाली ट्रेनों को आसपास के विभिन्न स्टेशनों पर रोका गया और सिंगल लाइन वर्किंग प्रणाली के तहत धीरे-धीरे ट्रेनों को निकाला गया। लगभग 5 घंटे के युद्धस्तर मरम्मत कार्य के बाद सुबह 4.15 बजे ट्रेनों का परिचालन सुचारू कर दिया गया।
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रतलाम मंडल की इस त्वरित और सतर्क कार्रवाई से संभावित दुर्घटना को टाला जा सका और यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित की गई। मंडल रेल प्रबंधक ने इस घटना के बाद कहा कि मानसून के दौरान ऐसे संवेदनशील स्थानों पर नियमित निरीक्षण और पेट्रोलिंग जारी है, ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं पर तुरंत काबू पाया जा सके।