scriptआज यह कैसी गोपाष्टमी : चंद गायों की पूजा, अधिकांश निराश्रित गंदगी खाने को मजबूर | What kind of Gopasthami is this today: A few cows are worshipped, most of the destitute are forced to eat garbage | Patrika News
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आज यह कैसी गोपाष्टमी : चंद गायों की पूजा, अधिकांश निराश्रित गंदगी खाने को मजबूर

हाईवे से लेकर सडक़ों तक निराश्रित गौवंश की भरमार है। स्थिति यह है कि भूख के मारे यह कचरा और पॉलीथिन खाने को मजबूर है। ऐसे में सभी निराश्रित गौवंश को गौशालाओं में भेजना चाहिए, वहीं पालतू गौवंश को खुला छोडऩे वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।

राजसमंदNov 09, 2024 / 10:28 am

himanshu dhawal

कचरा निस्तारण केन्द्र में जमा कचरे में कचरा खाती निराश्रित गौवंश

हिमांशु धवल

राजसमंद. शहर सहित आस-पास के क्षेत्रों में गत दिनों गोवर्धन पर गौवंश की पूजा-अर्चना की गई थी। अब गोपाष्टमी पर फिर से पूजा-अर्चना की जाएगी। इसके अलावा अधिकांश निराश्रित गौवंश भूख के मारे गंदगी में मुंह मारने को मजबूर है। जिले में 26 क्रियाशील गौशालाओं में 10338 से अधिक गौवंश है, लेकिन इतना ही गौवंश अभी भी सडक़ों पर खुले आम विचरण कर रहा है। ऐसे में गौवंश को खुला छोडऩे वालों पर सख्ती की आवश्यकता है। शहर के गुर्जरों का गुड़ा स्थित कचरा संग्रहण केन्द्र में इन दिनों कचरा निस्तारण का काम बंद है। गत दिनों वहां पर आग भी लग गई थी। इसके कारण काम पूरी तरह से ठप पड़ा हुआ है। ऐसे में अब वहां पर दर्जनों निराश्रित गौवंश में डेरा जमा लिया है। वह भूख के मारे वहां पर गंदगी खाने को मजबूर है। इसी प्रकार ट्रेचिंग ग्राउण्ड के बाहर फैले कचरे में गौवंश का जमावड़ा लगा रहता है। इसी प्रकार शहर के मुख्य मार्गो पर और कचरा पात्रों पर भूख के मारे निराश्रित गौवंश मुंह मारने को मजबूर है। यही स्थिति उदयपुर से जयपुर जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग की बनी हुई है। मुख्य रोड पर सैकडों निराश्रित गौवंश के जमावड़े के चलते कई बार दुर्घटनाएं तक हो चुकी है। इसके बावजूद इस और ध्यान नहीं दिया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि समय-समय पर गौवंश का पूजन किया जाता है, लेकिन उनकी दुदर्शा पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। ऐेसे निराश्रित गौवंश को गौशाला में बंद करवाया और खुला छोडऩे वाले गौपालकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।

होना यह चाहिए

: गौवंश को खुला छोडऩे वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई
: शहर के मुख्य रोड़ पर चारा बेचने वालों को पाबंद करें
: चारा बेचने वालों को गौशालाओं के बाहर शिफ्ट किया जाए
: नगर परिषद के कांजी हाउस का संचालन शुरू किया जाए
: नगर परिषद की ओर से फिर अभियान चलाया जाना चाहिए

200 से अधिक निराश्रितों को छोड़ा गौशाला में

नगर परिषद के मुख्य स्वास्थ्य निरीक्षक गिरिराज गर्ग ने अनुसार कुछ माह पहले अभियान चलाकर निराश्रित गौवंश को पकडकऱ गौशालाओं में छोड़ा गया था। इसके तहत करीब 200 निराश्रितों को गौशालाओं में छोड़ा गया। लेकिन कुछ गौशाला ने निराश्रित गौवंश और पाडे-बिजारे को लेने से मना कर दिया। इसे लेकर काफी विवाद भी हुआ। इसके बाद से उक्त अभियान को बंद कर दिया गया। नगर परिषद की ओर से मोही रोड पर कांजी हाऊस के लिए जमीन आवंटित है, लेकिन कई वर्षो के बाद भी अभी तक उसका काम शुरू नहीं हो सका है। इसके कारण भी स्थिति विकट होती जा रही है।

29 में से तीन गौशाला अक्रियाशील, 4 करोड़ बकाया

पशुपालन विभाग के अन्तर्गत जिले में 29 गौशाला पंजीकृत है। इसमें से तीन अक्रियाशील है और शेष 26 क्रियाशील है। पशुपालन विभाग के अनुसार जिले की गौशालाओं में 10,388 गौवंश है। इसमें 6494 बड़े और 3844 छोटे गौवंश है। विभाग की ओर से बड़े गौवंश के लिए 44 रुपए और छोटे गौवंश के लिए 22 रुपए प्रतिदिन अनुदान के रूप में दिया जाता है। गौशालाओं को नौ माह तक अनुदान उपलब्ध कराया जाता है। हालांकि विभाग की ओर से प्रथम चरण में चार माह और दूसरे चरण में पांच माह का अनुदान उपलब्ध कराया जाता है। इसके तहत इस वर्ष का गौशालाओं का 4 करोड़ से अधिक का अनुदान प्रक्रियाधीन बताया जा रहा है।

निराश्रित गौवंश की हालत खराब, पॉलीथिन में नहीं डाले खाद्य चीज

निराश्रित गौवंश के पॉलीथिन खाने से उसका हाजमा खराब हो जाता है दूध की गुणवत्ता खराब होने के साथ उसकी मृत्यु तक हो जाती है। यह समस्या पालूत गौवंश में नहीं होती है, लेकिन जो पशुपालक सुबह गौवंश को खुला छोड़ देते हैं और शाम को वापस दूध निकालकर छोड़ देते हैं उनके साथ ही यह समस्या आम हो गई है। पॉलीथिन में कोई भी खाद्य पदार्थ भरकर कचरा पात्र में नहीं डालना चाहिए। निराश्रित गौवंश उस खाद्य पदार्थ के साथ पॉलीथिन भी खा जाता है।

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