होना यह चाहिए
: गौवंश को खुला छोडऩे वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई: शहर के मुख्य रोड़ पर चारा बेचने वालों को पाबंद करें
: चारा बेचने वालों को गौशालाओं के बाहर शिफ्ट किया जाए
: नगर परिषद के कांजी हाउस का संचालन शुरू किया जाए
: नगर परिषद की ओर से फिर अभियान चलाया जाना चाहिए
200 से अधिक निराश्रितों को छोड़ा गौशाला में
नगर परिषद के मुख्य स्वास्थ्य निरीक्षक गिरिराज गर्ग ने अनुसार कुछ माह पहले अभियान चलाकर निराश्रित गौवंश को पकडकऱ गौशालाओं में छोड़ा गया था। इसके तहत करीब 200 निराश्रितों को गौशालाओं में छोड़ा गया। लेकिन कुछ गौशाला ने निराश्रित गौवंश और पाडे-बिजारे को लेने से मना कर दिया। इसे लेकर काफी विवाद भी हुआ। इसके बाद से उक्त अभियान को बंद कर दिया गया। नगर परिषद की ओर से मोही रोड पर कांजी हाऊस के लिए जमीन आवंटित है, लेकिन कई वर्षो के बाद भी अभी तक उसका काम शुरू नहीं हो सका है। इसके कारण भी स्थिति विकट होती जा रही है।29 में से तीन गौशाला अक्रियाशील, 4 करोड़ बकाया
पशुपालन विभाग के अन्तर्गत जिले में 29 गौशाला पंजीकृत है। इसमें से तीन अक्रियाशील है और शेष 26 क्रियाशील है। पशुपालन विभाग के अनुसार जिले की गौशालाओं में 10,388 गौवंश है। इसमें 6494 बड़े और 3844 छोटे गौवंश है। विभाग की ओर से बड़े गौवंश के लिए 44 रुपए और छोटे गौवंश के लिए 22 रुपए प्रतिदिन अनुदान के रूप में दिया जाता है। गौशालाओं को नौ माह तक अनुदान उपलब्ध कराया जाता है। हालांकि विभाग की ओर से प्रथम चरण में चार माह और दूसरे चरण में पांच माह का अनुदान उपलब्ध कराया जाता है। इसके तहत इस वर्ष का गौशालाओं का 4 करोड़ से अधिक का अनुदान प्रक्रियाधीन बताया जा रहा है।निराश्रित गौवंश की हालत खराब, पॉलीथिन में नहीं डाले खाद्य चीज
निराश्रित गौवंश के पॉलीथिन खाने से उसका हाजमा खराब हो जाता है दूध की गुणवत्ता खराब होने के साथ उसकी मृत्यु तक हो जाती है। यह समस्या पालूत गौवंश में नहीं होती है, लेकिन जो पशुपालक सुबह गौवंश को खुला छोड़ देते हैं और शाम को वापस दूध निकालकर छोड़ देते हैं उनके साथ ही यह समस्या आम हो गई है। पॉलीथिन में कोई भी खाद्य पदार्थ भरकर कचरा पात्र में नहीं डालना चाहिए। निराश्रित गौवंश उस खाद्य पदार्थ के साथ पॉलीथिन भी खा जाता है।- डॉ. पुरुषोतम पत्की, संयुक्त निदेशक पशुपालन विभाग राजसमंद