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राजसमंद

यहां जलाया नहीं, बल्कि रावण पर बरसाए पत्थर, किया गोलियों से छलनी

दशहरा पर्व धर्मनगरी की अनूठी परंपरा के तहत मंगलवार को रावण के पुतले को यहां जलाया नहीं गया, बल्कि उस पर पत्थर बरसाए और बन्दूक की गोलियों से छलनी किया गया।

राजसमंदOct 09, 2019 / 03:07 pm

laxman singh

Ravana rained stones, stabbed with bullets

यहां जलाया नहीं, बल्कि रावण पर बरसाए पत्थर, किया गोलियों से छलनी

चारभुजा/प्रमोद भटनागर । दशहरा पर्व धर्मनगरी की अनूठी परंपरा के तहत मंगलवार को रावण के पुतले को यहां जलाया नहीं गया, बल्कि उस पर पत्थर बरसाए और बन्दूक की गोलियों से छलनी किया गया। मंदिर व देवस्थान विभाग द्वारा वर्षों से चली आ रही परम्परा के तहत कस्बे में धूमधाम के साथ पर्व मनाया गया।
प्रभु श्री चारभुजानाथ की शाम 4 बजे कसार भोग आरती के बाद मंदिर के पुजारी ग्रामीण मंदिर प्रांगण से ढोल-नगाड़ों के साथ रवाना हुए, जो रघुनाथ अखाड़े से राम की प्रतिमा को शृंगारित कर पालकी में बैठाया गया। वहीं, ईमली वाले हनुमान मंदिर पर आयुधों व शस्त्रों का पूजन किया गया । अखाड़े के बाहर ही मंदिर के हवलदार जालमसिंह ने कद्दू काटकर बलि देने की रस्म अदा की। वहां से ढोल नगाड़ों के साथ ही गाते-बजाते जवाहर सागर मैदान पहुंचे।
मैदान में सरगरा समाज द्वारा रावण, कुम्भकरण व मेघनाथ के मुखौटे पत्थरों से बनाकर रंगों से सजावट की गई थी। रावण के सिर व पेट के मध्य में मटकी रखी गई। जयकारों के साथ देवस्थान के सिपाही बन्दूक से रावण को छलनी करने को तैनात हो गए। इसके बाद सिपाहियों ने बारी-बारी से तीनों के पुतलों पर गोलियां चलाई। 5 राउण्ड गोलियां चलाने के बाद भी रावण नहीं मरा। इसके बाद सिपाही सोहनसिंह व ललितसिंह ने निशाना साधकर रावण के पेट को छलनी किया व माथे के उड़ाया। इसके बाद ग्रामीणों ने पत्थर मार-मार कर रावण को जमींदोज कर दिया। रावण के जमींदोज होने पर ग्रामीण नाचते-गाते खुशियां मनाते हुए मंदिर पहुंचे। वहीं, रूपलाल गणेशलाल वगडवाल द्वारा प्रसाद वितरण किया गया।

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