इंटरसेप्टर गाड़ी की प्रमुख विशेषताएं
स्पीड मापने की प्रणाली: इस गाड़ी में उच्च गुणवत्ता वाले स्पीड लेजर गन और हाई डेफिनेशन कैमरे लगे हैं, जो 1 किलोमीटर की दूरी से ही किसी वाहन की गति को माप सकते हैं। यदि वाहन निर्धारित सीमा से अधिक गति से चलता है (जैसे 80 किलोमीटर प्रति घंटा से अधिक), तो यह कैमरा उसकी तस्वीर ले लेता है और संबंधित वाहन का नंबर प्लेट भी पहचान लेता है। ऑनलाइन ई-चालान: जब कोई वाहन तेज गति से चलता है और कैमरे में कैद होता है, तो इसे रोकने की जरूरत नहीं है। कैमरे से प्राप्त नंबर प्लेट की जानकारी ऑनलाइन ई-चालान प्रणाली में दर्ज हो जाती है। इसके बाद चालान संबंधित वाहन मालिक के पास घर बैठे भेज दिया जाता है। यह प्रक्रिया पूरी तरह से ऑटोमेटेड है, जिससे इंसानी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं रहती और गलती की संभावना भी कम हो जाती है।
स्मार्ट और डिजिटल तकनीक: इस वाहन में वाई-फाई, इंटरनेट, और GPS जैसी अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग किया गया है, जिससे वाहन की गति मापने, नंबर प्लेट पहचानने और चालान जारी करने की प्रक्रिया को तेज और सटीक बनाया जा सकता है।
वीडियो और वॉयस रिकॉर्डिंग: गाड़ी के 360 डिग्री कैमरा रिकॉर्डर के अलावा इसमें वॉयस रिकॉर्डिंग की भी सुविधा है, जिससे किसी भी यातायात उल्लंघन के मामले में सबूत के रूप में इसे इस्तेमाल किया जा सकता है।
सुरक्षा और निगरानी: इस गाड़ी में एल्कोहल पहचान प्रणाली (सांस से शराब की पहचान), टिंट मीटर, और एलईडी साइनेज जैसी सुरक्षा उपकरण भी लगे हैं। एलईडी लाइटबार, साइरन और पीए सिस्टम का उपयोग यातायात की स्थिति को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है।
ऑनलाइन चालान और ब्लैकलिस्टिंग की प्रक्रिया
यदि कोई वाहन चालक निर्धारित गति सीमा (80 किमी/घंटा) से अधिक गति से चलता है, तो उसकी पहचान इंटरसेप्टर वाहन के कैमरे द्वारा हो जाती है। इसके बाद ई-चालान वाहन के मालिक के पास तुरंत भेज दिया जाता है। यदि चालान का भुगतान 21 दिन के भीतर नहीं किया जाता है, तो वाहन को ब्लैकलिस्ट कर दिया जाएगा। ब्लैकलिस्ट किए गए वाहन को परिवहन विभाग द्वारा सड़क पर चलने की अनुमति नहीं दी जाएगी। यह कदम सड़क पर तेज गति से चलने वाले वाहनों के खिलाफ सख्त कार्रवाई को सुनिश्चित करता है।
सड़क दुर्घटनाओं को रोकने का उद्देश्य
तेज गति से दुर्घटनाएं: राजसमंद जिले के राष्ट्रीय हाईवे पर अक्सर तेज गति से वाहनों के चलते हुए दुर्घटनाएँ हो जाती हैं। इससे न सिर्फ यात्रियों की जान को खतरा होता है, बल्कि सड़क पर आम जनता की सुरक्षा भी दांव पर लग जाती है। इस समस्या को ध्यान में रखते हुए पुलिस मुख्यालय ने इंटरसेप्टर गाड़ी की आवश्यकता महसूस की, जो तेज गति से चलने वाले वाहनों की पहचान कर सके और ई-चालान के माध्यम से तुरंत कार्रवाई कर सके। सड़क सुरक्षा में सुधार: इस वाहन के आने से राजसमंद में सड़क सुरक्षा में महत्वपूर्ण सुधार होने की संभावना है। तेज गति से चलने वाले वाहन अपनी गति पर नियंत्रण रखेंगे, क्योंकि उन्हें पता रहेगा कि उनकी गतिविधि पर सख्ती से निगरानी की जा रही है। यह उपाय सड़क दुर्घटनाओं को कम करने और यातायात नियमों का पालन सुनिश्चित करने में सहायक होगा।
इंटरसेप्टर गाड़ी की डिजिटल कार्यप्रणाली
जीपीएस और वाई-फाई: इस वाहन में जीपीएस और वाई-फाई जैसी स्मार्ट तकनीकें शामिल हैं, जिससे पुलिस अधिकारियों को वास्तविक समय में वाहन की स्थिति पर निगरानी रखने में मदद मिलती है। यह गाड़ी इंटरनेट कनेक्टिविटी के माध्यम से सभी जानकारी संबंधित अधिकारियों तक तुरंत पहुंचा देती है। उच्च गुणवत्ता वाले कैमरे: इस गाड़ी में जो हाई डेफिनेशन कैमरा है, वह न केवल गति मापता है, बल्कि उसकी तस्वीर भी खींचता है, जिससे सटीक ई-चालान जारी किया जा सकता है। यह कैमरा वाहन के नंबर प्लेट को पहचानने में सक्षम है और इसके आधार पर चालान की प्रक्रिया पूरी करता है।
पुलिस अधीक्षक ने कही ये बात
पुलिस अधीक्षक मनीष त्रिपाठी ने इस नई पहल के बारे में कहा कि यह गाड़ीसड़क पर सुरक्षा बनाए रखने और दुर्घटनाओं को कम करने के लिए एक अहम कदम है। हाइवे पर तेज गति से चलने वाले वाहनों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए यह तकनीक अत्यंत प्रभावी साबित होगी। इसके द्वारा सड़क सुरक्षा में सुधार होगा और यातायात नियमों का पालन भी सुनिश्चित किया जाएगा।