उन्होंने कहा कि देश की राजनीति में उठापटक चलती रहती है, जिसको धर्म के साथ नहीं जोडना चाहिए क्योंकि जो शास्वत है, अखंड है, उसे खंड-खंड के साथ नहीं जोडऩा चाहिए। उन्होंने कहा कि सनातन तो अखंड हैं, जिसे किस-किस खंड से जोड़ेंगे। उन्होंने धर्म गुरू के बारे में कहा कि वे धर्म गुरु नहीं हैं, वे तो धर्म के सिपाही हैं। देश के युवाओं के लिए उन्होंने कहा कि वे अन्य देशों युवाओं के मुकाबले और प्रगति करें। श्रीनाथजी से क्या कामना की इस पर उन्होंने कहा कि श्रीवल्लभाचाय्र्र महाप्रभु की इस बैठक पर ऐसा अनुभव हो रहा है जैसे श्रीधाम वृंदावन की कुंज गलियों में खड़े हों और सारे बृजवासी अगल-बगल खड़़े होकर द्वापर युग समकाल के समय को सब याद कर रहे हों। उन्होंने कहा कि दर्शन में यही मांगा है कि जल्द से जल्द भारत हिन्दू राष्ट्र बन जाए और देश से धर्म विरोधी भाग जाएं।
प्रभु श्रीनाथजी के किए दर्शन
भीलवाड़ा से सुबह यहां पहुंचे शास्त्री ने प्रभु श्रीनाथजी के मंगला की झांकी के दर्शन किए, जिसके बाद मंदिर की स्वागत परंपरानुसार महाप्रभुजी की बैठक के सन्मुख शास्त्री व उपाध्याय का श्रीकृष्ण भंडार के अधिकारी सुधाकर उपाध्याय ने उपरना व रजाई ओढ़ाकर तथा श्रीनाथजी का प्रसाद प्रदान कर समाधान किया। समाधान के बाद ही शास्त्री ने मोबाइल पर मुंबई में मंदिर के तिलकायत पुत्र विशाल बावा से बातचीत कर उनका आशीर्वाद लिया। इस दौरान उन्होंने ब्रजभाषा में कहा कि ठाकुरजी के खूब बढिय़ा से दर्शन हो गए, परंतु आपके यहां नहीं होने से अधूरापन लगा।
रास्ता बदलकर पहुंचे मंदिर
भीलवाड़ा से विशेष सुरक्षा घेरे के साथ शास्त्री मंदिर पहुंचने के पूर्व निर्धारित रास्ते की बजाय दूसरे रास्ते से पहुंचे। उनका यहां न्यू कॉटेज में आने का कार्यक्रम तय था, परंतु वे वहां नहीं पहुंचे और फौज मोहल्ला से सीधे गोविंदपुरा होकर वि_लनाथजी मंदिर के रास्ते से पहुंचे और गोविंद नागदा की होटल में स्नान करने के बाद प्रभु श्रीनाथजी के मंगला की झांकी के दर्शन करने पहुंचे। यहां पहुंचने पर तिलकायत सचिव लीलधार पुरोहित, श्रीकृष्ण भंडार के सहायक अधिकारी अनिल सनाढ्य, हर्ष सनाद्य, समाधानी उमंग मेहता, अतिरिक्त जिला पुलिस अधीक्षक महेन्द्र पारीक, नाथद्वारा पुलिस थाने के वृत निरीक्षक लीलाधर मालवीय, श्रीनाथजी मंदिर पुलिस थाने के वृत निरीक्षक दलपत सिंह मंदिर ने उनकी अगवानी की।
लोगों से हाथ जोडकऱ किया अभिवादन
शास्त्री के यहां दर्शन करने आने की सूचना पर उनकी एक झलक पाने कई लोग पहुंच गए। इस दौरान जहां पर भी लोग उनको आवाज देते हुए जयकारे लगाते तो वे हाथ जोडकऱ सभी का अभिवादन कर रहे थे। चौपाटी पर दर्शन कर लौटने के दौरान भी उन्होंने कार में बैठे-बैठेे ही जनता का हाथ जोडकऱ अभिवादन किया। इसके बाद वे यहां से प्रस्थान कर गए और राजसमंद हाउसिंग बोर्ड में एक भक्त के यहां पर कुछ देर ठहरने के बाद भीलवाड़ा के लिए प्रस्थान कर गए।