वर्ष मरीजों की संख्या
2019-20 76366
2020-21 33909
2021-22 48802
2022-23 102137
2023-24 142926 3 साल से आईपीडी बंद
शहर के आयुर्वेदिक चिकित्सालय में तीन वर्ष से स्टॉफ की कमी के कारण चिकित्सक मरीजों को ईलाज के लिए भर्ती नहीं कर पा रहे हैं। जबकि, पहले के वर्षों में ईलाज की जरूरतों को देखते हुए मरीजों को 24 घंटे चिकित्सकीय देखरेख में भर्ती भी किया जा रहा था। वर्तमान में स्टॉफ की कमी होने से चिकित्सालय के ओपीडी (बहिरंग) समय (सुबह 9 से अपरानह 3 बजे) के बाद ताला लगाना पड़ रहा है।
कैसे हो इलाज: 80 फीसदी दवाएं ही नहीं
चिकित्सालय में आने वाले मरीजों का इलाज करना भी मुश्किल हो रहा है। चिकित्सालय के स्तर पर स्वीकृत और रखे जाने वाली 52 प्रकार की दवाइयों में से सिर्फ 10 प्रकार की दवाइयां ही उपलब्ध हैं। 42 प्रकार की दवाएं नहीं होने से चिकित्सा के लिए आने वाले मरीजों को जिस कदर असुविधा और निराशा का सामना करना पड़ रहा है, वह सोचने लायक है।
ये है भवन की स्थिति
रिसाला चौक से चौपाटी मार्ग पर भरे बाजार के बीच स्थित आयुर्वेदिक चिकित्सालय का भवन 4 हजार 247 स्क्वायर फीट में बना हुआ है। वर्ष 2017-18 में स्वीकृत 61 लाख 64 हजार रुपए से मरम्मत की शुरुआत की गई। नवीनीकरण का कार्य 2020 में पूरा हो गया। भवन में चिकित्सक कक्ष, कम्पाउंडर कक्ष, मरीज वार्ड, चिकित्सा कक्ष सहित कुल 14 कमरे हैं।
पद व लैब की जरूरत
चिकित्सालय में मरीजों के ईलाज के मद्देनजर पंचकर्म के मेल-फीमेल मसाजर, कूक, सुरक्षाकर्मी के पदों की स्वीकृति की जरूरत है। मरीजों में रोगों की पहचान ठीक से हो सके, इसके लिए विभिन्न प्रकार की जांचों से संबंधित उपकरणों से लैस जांच केंद्र की भी आवश्यकता है। अगर ये सुविधाएं मिलती है तो मरीजों का आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति से ईलाज में भरोसा बढ़ेगा और लोग राहत पाएंगे।
पंचकर्म : कई प्रकार की थैरेपी दी जा रही
चिकित्सा सुविधाओं व स्टॉफ की कमी से जूझ रहे आयुर्वेदिक अस्पताल में डॉक्टर वर्तमान में भी प्रतिदिन आउटडोर में 60 से 70 मरीजों को देख रहे हैं। सामान्य ईलाज के साथ ही रोजाना 17 से 20 मरीजों को पंचकर्म एवं विभिन्न प्रकार की थैरेपी भी दी जा रही है। कुछ वर्षों में आयुर्वेदिक ईलाज से प्रभावित होकर दानदाताओं ने भी हाथ बढ़ाया और अलग-अलग प्रकार के उपकरण चिकित्सालय में भेंट किए हैं।
स्टॉफ की कमी के कारण डे-केयर कर रहे संचालित
स्टॉफ की कमी के कारण अस्पताल डे-केयर में ही संचालित किया जा रहा है। अस्पताल में दवाइयों की कमी से भी दिक्कतें हैं। डॉ. राजेंद्र जांगिड़, चिकित्साधिकारी राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय नाथद्वारा