Imran Khan से जुड़ा अलक़ादिर भूमि ट्रस्ट मामला क्या है, इसी केस में हुई 14 साल की जेल
Imran Khan and Bushra Bibi: पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान को अलक़ादिर भूमि ट्रस्ट मामले में 14 साल की सजा सुनाई गई है। इस केस में उनकी पत्नी बुशरा बीबी को भी दोषी ठहराते हुए 7 साल जेल की सजा मिली है।
Imran Khan and Bushra Bibi: पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान और उनकी बीवी बुशरा बीबी के खिलाफ 190 मिलियन पाउंड रेफरेंस ट्रायल एक साल के भीतर पूरा हुआ था। एनएबी रेफरेंस का ट्रायल पिछले साल 18 दिसंबर को समाप्त हुआ था। यह मामला ब्रिटेन की नेशनल क्राइम एजेंसी (NCA) की ओर से पाकिस्तान को भेजी गई 190 मिलियन पाउंड की राशि के अवैध उपयोग से संबंधित है। आरोप है कि इमरान खान और उनकी पत्नी ने इस राशि को कानूनी रूप देने के बदले में बहरिया टाउन से अरबों रुपये मूल्य की ज़मीन और अन्य वित्तीय लाभ प्राप्त किए। एनएबी के अनुसार, अलक़ादिर ट्रस्ट के लिए ज़मीन और अन्य वित्तीय लाभ अवैध तरीके से हासिल किए गए। मामले की शुरुआत में आरोप लगाया गया कि इमरान खान ने ब्रिटेन की नेशनल क्राइम एजेंसी के साथ 2019 की अपनी डील को गुप्त रखा और अपनी कैबिनेट को गुमराह किया।
एनएबी ने आरोप लगाया कि बुशरा बीबी ने ट्रस्टी के तौर पर अलक़ादिर यूनिवर्सिटी के लिए दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए और इमरान खान की अवैध गतिविधियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस मामले में संपत्ति टाइकून के साथ किया गया समझौता सुप्रीम कोर्ट के खाता के माध्यम से इस्तेमाल करते हुए 190 मिलियन पाउंड को पाकिस्तान सरकार की संपत्ति करार दिया गया। इसके अलावा, एनएबी ने यह भी दावा किया कि इमरान खान ने प्रधानमंत्री के रूप में अपने अधिकारों का दुरुपयोग करते हुए वित्तीय लाभ प्राप्त किए और संघीय कैबिनेट से गुप्त समझौते की मंजूरी दिलवाई।
वकीलों ने 38 सुनवाइयों के दौरान जिरह पूरी की
यह रेफरेंस 1 दिसंबर 2023 को जवाबदेही न्यायालय में दायर किया गया था, और इस केस की ट्रायल लगभग एक साल में पूरी हुई। एनएबी की ओर से प्रस्तुत किए गए सुबूतों में 35 गवाहों के बयान शामिल थे, जिनमें से कई गवाहों पर बचाव पक्ष के वकीलों ने जिरह भी की। एनएबी ने शुरू में 59 गवाहों की सूची प्रस्तुत की थी, लेकिन बाद में 24 गवाहों को छोड़ दिया गया। केस के जांच अधिकारी मियां उमर नदीम पर इमरान खान के वकीलों ने 38 सुनवाइयों के दौरान जिरह पूरी की।
अदालत ने भगोड़ा घोषित कर संपत्ति जब्त करने का आदेश दिया
इस केस की सुनवाई के दौरान, एनएबी की 6 सदस्यीय अभियोजन टीम ने दलीलें पेश कीं, जिसमें सरदार मुजफ्फर अब्बासी, अमजद परवेज़ और अन्य शामिल थे। दूसरी ओर, इमरान खान के वकीलों में सलमान सफ़दर, उस्मान रियाज़ गुल और जाहिर अब्बास चौधरी पेश होते रहे। केस के दौरान कई बार न्यायधीश बदले। शुरू में न्यायधीश मोहम्मद बशीर ने केस की सुनवाई की, जिसके बाद यह केस न्यायधीश नासिर जावेद राणा के पास गया। बाद में न्यायधीश मोहम्मद अली वडाइच ने सुनवाई की, और आखिरकार यह फिर से न्यायधीश नासिर जावेद राणा के सुपुर्द किया गया। इस मामले के अन्य आरोपियों में जुल्फी बुखारी, फरहत शहजादी, मिर्ज़ा शहज़ाद अकबर और ज़ियाउल मुस्तफा नसीम शामिल हैं, जिन्हें अदालत ने भगोड़ा घोषित किया और उनकी संपत्तियों को जब्त करने का आदेश दिया।
इमरान खान, बुशरा बीबी और उनके वकील पेश नहीं हुए
ट्रायल के दौरान विभिन्न अवसरों पर मामले की कार्यवाही में देरी हुई। प्रारंभ में फैसला 23 दिसंबर 2024 को सुनाया जाना था, लेकिन अदालत ने छुट्टियों और अन्य कारणों के चलते सुनवाई को 6 जनवरी तक स्थगित कर दिया। 6 जनवरी को भी फैसला नहीं सुनाया जा सका, और इसे फिर से टाल दिया गया। वहीं 13 जनवरी की सुनवाई के दौरान, न्यायधीश नासिर जावेद सुबह 9 बजे अदालत पहुंच गए थे, लेकिन इमरान खान, बुशरा बीबी और उनके वकील पेश नहीं हुए।
प्रॉपर्टी टाइकून मलिक रियाज के साथ एक गुप्त सौदा किया
समझौते के तहत पाकिस्तान को 140 मिलियन पाउंड मिले, जिसे राष्ट्रीय खजाने में जमा करने के बजाय बहरिया टाउन कराची की 450 बिलियन रुपये की देनदारियों में समायोजित कर दिया गया। इमरान खान और बुशरा बीबी पर यह भी आरोप है कि उन्होंने प्रॉपर्टी टाइकून मलिक रियाज के साथ एक गुप्त सौदा किया था, जिसके तहत उन्होंने इस्लामाबाद के मोहरा नूर में 240 कनाल जमीन हासिल की थी।
ज़मीन का असल मालिकाना हक़ इमरान ख़ान और उनके परिवार के पास था
यह मामला इमरान ख़ान के खिलाफ भ्रष्टाचार और जमीन घोटाले से जुड़ा हुआ है, जिसमें आरोप है कि उन्होंने और उनके करीबी सहयोगियों ने सरकारी ज़मीन पर अवैध कब्ज़ा किया और इसका निजी लाभ उठाया। अलकादिर ट्रस्ट का संबंध उस ज़मीन से है, जिसे ख़ान परिवार ने ट्रस्ट के नाम पर लिया था, और आरोप है कि इस ज़मीन का असल मालिकाना हक़ इमरान ख़ान और उनके परिवार के पास था, जबकि ट्रस्ट को इसका नियंत्रण दिया गया था। इस मामले में आरोप है कि इमरान ख़ान और उनके करीबी सहयोगियों ने सरकार की ओर से भूमि के आवंटन में घोटाला किया, ताकि उनका व्यक्तिगत लाभ हो सके।
अदालत ने फैसला स्थगित कर दिया
अदालत ने 14 जनवरी को एक लिखित आदेश जारी करते हुए इमरान खान को अडियाला जेल के सुपरिंटेंडेंट के माध्यम से तलब किया, लेकिन उन्होंने अदालत में पेश होने से मना कर दिया। अदालत ने 2 घंटे इंतजार करने के बाद आरोपियों की अनुपस्थिति को नोट करते हुए 17 जनवरी तक फैसला स्थगित कर दिया। न्यायधीश नासिर जावेद ने लिखित आदेश में आरोपियों और संबंधित व्यक्तियों को आगामी सुनवाई पर समय पर उपस्थित होने की हिदायत दी।
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