यहां पर प्रकट स्वयं-भू शिवलिंग की पूजा-अर्चना करने के लिए सावन में सुबह से शाम तक लोगों की भीड़ लगी रहती है।
सावन के प्रत्येक सोमवार को यहां मेले जैसा माहौल देखने को मिलता है। मंदिर में जाने के लिए एक संकरी लबी गुफा से होकर जाना पड़ता है। इसकी लबाई करीब 135 फीट है। यह राजसमंद जिले के सबसे प्राचीन शिव मंदिरों में से एक है। इस गुफा का निर्माण वि.सं. 1718 में महाराणा रायसिंह ने कराया था। 611 वर्ष तक बालेश्वर महादेव के नाम से पूजा हुई। यहां से प्रतिवर्ष दो कावड़ यात्रा निकाली जाती है। इसमें से एक रामेश्वर महादेव एवं
कुंभलगढ़ स्थित परशुराम महादेव मंदिर जाती है। वहां पर भोले का अभिषेक किया जाता है।
रामेश्वर महादेव मंदिर में होंगे मनोरथ
शहर के श्री रामेश्वर महादेव मंदिर में विकास समिति की ओर से श्रावण मास के प्रत्येक सोमवार को विभिन्न मनोरथ का आयोजन किया जाएगा। समिति के अध्यक्ष जगदीशचन्द्र लड्ढ़ा ने बताया कि श्रावक मास के प्रत्येक सोमवार व हरियाली अमावस्या के अवसर पर मनोरथों का आयोजन किया जाएगा। इसके तहत गिरी कंदरा व फूलों का श्रृंगार किया जाएगा।
आराध्य प्रभु श्रीनाथजी चंदर के हिंदोलना में विराजित किया जाएगा। इसी प्रकार 29 जुलाई को भगवान भोलेनाथ के फूलों का विशेष श्रृंगार, 4 अगस्त को हरियाली अमावस्या पर भगवान भोलेनाथ के हरियाली मनोरथ, 5 अगस्त को नाव मनोरथ सावन-भादो मनोरथ, 12 अगस्त को जय बाबा अमरनाथ की झांकी एवं 18 अगस्त फूलों व राखियों का श्रृंगार किया जाएगा।
मंत्री रामसहाय विजयवर्गीय ने बताया कि महिलाओं एवं बालकों के लिए झूलों की विशेष व्यवस्था रहेगी। प्रत्येक सोमवार को आयोजित मनोरथों के दर्शन दोपहर 2 बजे से रात्रि 10 बजे तक रहेगा।