इन महिलाओं ने अलग-अलग समूह के माध्यम से बम्लेश्वरी महिला प्रोड्यूसर कंपनी बनाई और इसका दफ्तर फाफामार गांव में खोला। राजनांदगांव के साथ ही महाराष्ट्र में भी यह महिलाएं वर्मी कंपोस्ट सप्लाई करती हैं।
Sunday Guest Editor: 2016 में 150 महिलाओं को दी गई ट्रेनिंग
कंपनी की डायरेक्टर व छुरिया ब्लॉक फेडरेशन की अध्यक्ष धनेश्वरी मंडावी ने बताया कि पद्मश्री फूलबासन यादव के मार्गदर्शन से वर्मी कंपोस्ट तैयार करने का मौका मिला। 2016 में 150
महिलाओं ने वर्मी कंपोस्ट बनाने की ट्रेनिंग ली। फाफामार में ही 40 वर्मी टैंक तैयार कर खाद बनाने की शुरुआत की। वर्मी कंपोस्ट की मांग बढ़ती गई तो आसपास के गांव की महिलाओं ने अपने घर की बाड़ी या फिर अन्य जगहों पर खुद से ही टैंक तैयार किया। इस तरह जैविक खेती की चेन तैयार की।
सालभर में यहां से 240 क्विंटल वर्मी कंपोस्ट तैयार कर बिक्री कर लेते हैं। काम करने वाली महिलाओं को इसी कमाई से मजदूरी का भुगतान करते हैं। वर्मी कंपोस्ट का ज्यादातर इस्तेमाल आसपास के किसान अपनी सब्जी बाड़ी में कर रहे हैं। वहीं पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र से भी वर्मी कंपोस्ट की खरीदी करने किसान आते हैं।
सोच यह: छोटे स्तर से की गई शुरुआत सतत् प्रयास से सफल होती है।
घर पर भी तैयार कर रहे खाद: महिलाएं घर पर ही खाद तैयार कर बेचती हैं और खेतों में भी इस्तेमाल करती हैं। इससे महिलाओं की आमदनी बढ़ी है। डायरेक्टर मंडावी ने बताया कि फाफामार में संचालित टैंक में खाद बनाने के लिए समूह की महिलाओं को ही काम दिया जाता हैै। बारी-बारी से अलग-अलग समूह की महिलाएं काम करती हैं। इन गांवों में हो रही जैविक खेती: फाफामार के साथ ही कल्लूबंजारी, मेटेपार, टिपानगढ़, सोनवानी टोला में जैविक खेती हो रही है। सोनवानीटोला में 80 प्रतिशत किसान जैविक खेती अपना चुके हैं। इसलिए वर्मी कंपोस्ट खाद की डिमांड बनी हुई है। इससे समूह की महिलाओं को खाद की खपत करने में दिक्कत नहीं होती।