विज्ञान प्रसारिका सारिका घारू ने बताया कि यूरोप के अधिकांश भाग, उत्तरी अफ्रीका के साथ एशिया के पश्चिमी भागों में इसे आंशिक सूर्यग्रहण के रूप में देखा जा सकेगा। पृथ्वी के भू भाग पर भारतीय समयानुसार दोपहर 2 बजकर 28 मिनट और 21 सेकंड पर यह ग्रहण आरंभ होगा।
4 बजकर 30 मिनट और 16 सेकंड पर अधिकतम ग्रहण होगा। शाम 6 बजकर 32 मिनट 11 सेकंड पर यह समाप्त होगा। लेकिन भारत में 4 बजे के बाद अलग-अलग भू भाग पर दिखना आरंभ होगा। चूंकि भारत में सूर्यास्त ग्रहण समाप्त होने के पहले ही हो चुका होगा, इसलिए यहां ग्रहण सूर्यास्त तक ही दिखाई देगा।
पं. राजेंद्र दुबे के अनुसार, ग्रहण के दौरान रायसेन में सूर्य 33 प्रतिशत तक ढंका रहेगा। सूर्यग्रहण का सूतक काल मंगलवार की सुबह 4:42 से प्रारंभ हो जाएगा क्योंकि यह ग्रहण शुरू होने से 12 घंटे पहले शुरू माना जाता है। शास्त्रानुसार, सूतक काल में किसी प्रकार का भोजन इत्यादि नहीं करना चाहिए, लेकिन बच्चों, वृद्ध, रोगियों को एक पहर पूर्व अर्थात 1.42 बजे से पहले भोजन कराया जा सकता है। ग्रहण काल में भगवान का मानसिक पूजन करना चाहिए एवं ग्रहण के उपरांत स्नान कर शुद्धि करना चाहिए। ग्रहण के दिन मंदिर रात्रि के समय खुल नहीं पाएंगे।
कल्याण करेगा ग्रहण
पं. सुरेश शर्मा, राजेश शर्मा के अनुसार, सूर्य ग्रहण का फल इस बार जगत कल्याण, धन की वृद्धि, उपद्रव का नाश, महामारी का नाश, प्रजा को आनंद देने वाला रहेगा, धान आदि का भाव सस्ता हो, प्रजा में शांति का माहौल रहेगा, भ्रष्टाचार पर लगाम, दुनिया में सैनिक बलों में वृद्धि होगी के साथ आतंकवादियों के लिए कष्टकारक होगा। स्वाति नक्षत्र तुला राशि वालों को यह ग्रहण विशेष कष्टकारी हो सकता है।