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World Rabies Day: 400 से ज्यादा केस रायपुर में, Dog Bite पर 72 घंटे में एंटी वैक्सीन लगवाना जरूरी नहीं तो…

World Rabies Day: रायपुर राजधानी समेत प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में रोजाना 400 से ज्यादा डॉग बाइट के केस आते हैं। राजधानी की बात करें तो यहां रोजाना 50 केस आते हैं, जिन्हें एंटी रैबीज वैक्सीन लगाने की जरूरत पड़ती है।

रायपुरSep 28, 2024 / 01:10 pm

Shradha Jaiswal

dog bite
World Rabies Day: छत्तीसगढ़ रायपुर राजधानी समेत प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में रोजाना 400 से ज्यादा डॉग बाइट के केस आते हैं। राजधानी की बात करें तो यहां रोजाना 50 केस आते हैं, जिन्हें एंटी रैबीज वैक्सीन लगाने की जरूरत पड़ती है। एक स्टडी के अनुसार 97 फीसदी रैबीज श्वानों से फैलता है। इसलिए रैबीज से बचने के लिए न केवल आवारा, बल्कि पालतू श्वानों से भी सावधान रहने की जरूरत है। बिल्लियों से 2, नेवले, सियार व अन्य जानवरों से एक फीसदी रैबीज फैलता है।
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World Rabies Day: सरकारी अस्पतालों में यह वैक्सीन फ्री में

World Rabies Day: विश्व रैबीज दिवस (World Rabies Day 2024) 28 सितंबर को मनाया जाएगा। राजधानी में डॉग बाइट के काफी केस आते हैं। लोग आंबेडकर समेत दूसरे अस्पतालों में जाकर एंटी रैबीज वैक्सीन लगवा रहे हैं। सरकारी अस्पतालों में यह वैक्सीन फ्री में लगाई जाती है। जबकि निजी में 400 से लेकर 500 रुपए प्रति डोज पड़ता है। विशेषज्ञों के अनुसार, केवल गंभीर चोट में वैक्सीन लगाने की जरूरत है, ऐसा नहीं है।
World Rabies Day: श्वान के नाखून भी गड़ जाए और खून न आए, खरोंच दें तो भी वैक्सीन लगाने की जरूरत है। डॉग बाइट के 72 घंटे के भीतर ये वैक्सीन लगाने से सुरक्षित रहा जा सकता है। इसमें लापरवाही बिल्कुल न करें। राजधानी के गली-मोहल्ले में आवारा श्वानों की भरमार है। निगम भी रस्मी तौर पर अभियान चला रहा है। इस कारण शहर में श्वान घटने के बजाय बढ़ते जा रहे हैं। लोग न केवल रात में बल्कि दिन में भी श्वानों के खतरे से अनजान नहीं है।
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भारत में 36 फीसदी मौतें रैबीज से हो रही

देश में रैबीज से 36 फीसदी मौतें हो रही हैं। इसमें 97 फीसदी श्वान के काटने से हो रहा है। हर साल 18 से 20 हजार मामले आते हैं। जबकि दुनिया में संक्रामक रोगों में रैबीज का 10वां स्थान है। रैबीज संक्रामक है। विशेषज्ञों के अनुसार, रैबीज से संक्रमित होने पर यह तेजी से दूसरे को संक्रमित करता है। इसलिए रैबीज के मरीजों को आइसोलेटेड वार्ड में भर्ती कर इलाज किया जाता है। जिन्हें रैबीज हो जाता है, उनकी जान सामान्यत: नहीं बचाई जा सकती।
दरअसल, इस बीमारी का कोई इलाज भी नहीं है। इसलिए आवारा श्वानों के गिरफ्त में आने के बजाय बचने की जरूरत है। जानवरो के काटने का बाद वायरस डैमेज हुए त्वचा के तांत्रिक कोशिकाओं के माध्यम से दिमाग तक पहुंचता है और अपना असर दिखाता है। एक बार अगर लक्षण आ गए तो बचना असंभव है।
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इसलिए यह रोग बहुत घातक माना जाता है।

रैबीज का खतरा न केवल आवारा, बल्कि पालतू श्वानों से भी है। ये किसी को भी काट सकते हैं। बेहतर होगा काटने पर तत्काल एंटी रैबीज वैक्सीन लगवाएं। घाव गंभीर हो तो इम्यूनोग्लोबुलिन सीरम लगवाएं। अपनी मर्जी से जड़ी-बूटी का उपयोग न करें। चूंकि 97 फीसदी रैबीज श्वानों से फैलता है इसलिए हमेशा अलर्ट रहें।
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30 दिनों से लेकर छह वर्ष में दिखते हैं लक्षण

पागल श्वान (Dog Bite) व दूसरे जानवर के काटने के 30 दिनों से लेकर 90 दिनों तक, यहां तक कई केस में 6 वर्ष के भीतर मरीज में रैबीज के लक्षण देखे गए हैं। पानी से डरना यानी हाइड्रोफोबिया, प्रकाश से डरना मतलब फोटोफोबिया व हवा से डर यानी एयरोफोबिया रैबीज के प्रमुख लक्षणों में है। पीड़ित मरीज पानी को श्वान की तरह चांट-चांटकर पीता है। विशेषज्ञों के अनुसार 14 इंजेक्शनों के बजाय आजकल मांसपेशियों में लगने वाला 5 टीका पर्याप्त है। इसे पहले दिन, तीसरे, सातवें, 14वें व 28वें दिन लगाया जाता है। ये पूर्णत: सुरक्षित व असरकारकर है।

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