इस प्रकरण में पूर्व महाधिवक्ता सतीशचंद्र वर्मा, सेवानिवृत्त आईएएस आलोक शुक्ला तथा अनिल टुटेजा सहित अन्य लोगों को ईओडब्ल्यू ने आरोपी बनाया है। उक्त तीनों पर अपने पद का दुरुपयोग करते हुए गवाहों के बयान बदलवाने के आरोप हैं। बता दें कि ईडी के प्रतिवेदन पर ईओडब्ल्यू ने 4 नवंबर को एफआईआर दर्ज कर मामले की जांच शुरू की थी। एफआईआर में दोनों पूर्व आईएएस तथा पूर्व महाधिवक्ता आरोपी बनाए गए हैं। इन तीनों के खिलाफ वाट्सऐप चैट मिलने के बाद ईओडब्ल्यू ने एफआईआर दर्ज की थी।
एफआईआर के मुताबिक, पूर्व आईएएस ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए तत्कालीन महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा से उनके व्यक्तिगत प्रभाव का इस्तेमाल कर लाभ लिया। इसके बाद संयुक्त रूप से आपराधिक षड्यंत्र में शामिल हुए और ईओडब्ल्यू में काम करने वाले उच्चाधिकारियों से प्रक्रियात्मक दस्तावेज और विभागीय जानकारी में बदलाव कराया। वहीं नान मामले में दर्ज प्रकरण में अपने पक्ष में जवाब तैयार कर हाईकोर्ट में मजबूती से अपना पक्ष रखा गया।
ईडी ने अप्रैल में भेजा था प्रतिवेदन
ईओडब्ल्यू में नान घोटाले का अपराध दर्ज करने ईडी ने 2 अप्रैल 2024 में प्रतिवेदन भेजा था। इसमें सतीश चंद्र वर्मा, आलोक शुक्ला तथा अनिल टुटेजा के नामजद और अन्य लोगों को आरोपी बताया था। साथ ही अपने प्रतिवेदन में घोटाले से संबंधित रिपोर्ट और दस्तावेज सहित जांच के दौरान जब्त डिजिटल डिवाइस से मिली जानकारी और वॉट्सऐप चैट की जानकारियों को भेजा था।