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अभी तक पीजी छात्र मेडिकल कॉलेजों में ही रहकर मरीजों का इलाज व पढ़ाई करते हैं। पहली बार डीआरपी के तहत उनकी पोस्टिंग जिला अस्पतालों में की गई। यह पीजी कोर्स का ही हिस्सा है। रोस्टरवार छात्रों की ड्यूटी लगाई गई है। कॉलेज प्रबंधन ने छात्रों की सूची भेजकर संबंधित सीएमएचओ से कहा है कि हर माह छात्रों का अटेंडेंस भेजें।
इसी के अनुसार छात्रों को स्टायपेंड दिया जाएगा। रायपुर जिला अस्पताल में 17 विभागों के छात्रों को भेजा गया था। इनमें मेडिसिन, पीडिया, गायनी, सर्जरी, ऑर्थो, एनीस्थिसिया, ईएनटी, ऑप्थलमोलॉजी, स्किन, रेडियो डायग्नोसिस, चेस्ट, माइक्रो बायोलॉजी, पैथोलॉजी, पीएसएम, फार्माकोलॉजी व फिजियोलॉजी शामिल है। कांकेर में रेडियो डायग्नोसिस व रेडियो थैरेपी तथा कवर्धा में मेडिसिन, पीडिया, जनरल सर्जरी, एनीस्थीसिया, पैथोलॉजी व पीएसएम विभाग के छात्रों की सूची भेजी गई थी। तीन माह के बाद ये छात्र वापस मेडिकल कॉलेज लौट चुके हैं। इन्हें पीजी प्रवेश नियम के अनुसार छुट्टी की पात्रता दी जाएगी।
डीएमई डॉ विष्णु दत्त ने कहा कि डीआरपी के तहत पीजी छात्र-छात्राओं की पोस्टिंग सीखने के लिए काफी अच्छा है। इससे जिला अस्पतालों में मरीजों को इलाज के लिए डॉक्टर भी मिलेंगे। एनएमसी के इस प्रोग्राम को सभी पीजी मेडिकल कॉलेजों में लागू कर दिया गया है।