23 साल में बने IAS, अब नौकरी छोड़ करेंगे राजनीति, जानिए उनसे जुड़ी 10 खास बातें
रायपुर. भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) 2005 बैच के अफसर और रायपुर कलक्टर ओम प्रकाश चौधरी ने सिविल सर्विसेज की नौकरी छोड़ चुनाव लड़ने का मन बना लिया है। खबरों के अनुसार ओपी चौधरी ने कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग यानि डीओपीटी नई दिल्ली को अपना इस्तीफा भेज दिया है। माना जा रहा है कि चौधरी भाजपा में शामिल होकर रायगढ़ के खरसिया सीट से अपनी किस्मत आजमा सकते हैं। हालांकि इस पूरे मामले में ओपी चौधरी ने अभी तक कुछ भी साफ नहीं किया है। रायपुर कलेक्टर ओपी चौधरी छत्तीसगढ़ के एक युवा आईएएस अधिकारी जिनका काम उनकी पहचान है, उनका हर कार्य रचनात्मक व समाज को समर्पित है।आईएएस से लेकर राजनीति तक का सफर ओ.पी. चौधरी का कैसा रहा सफ़र:
-22 साल की उम्र में बने थे आईएएस, उनके पिता का नाम दीनानाथ चौधरी था वे शिक्षक थे, ओपी जब कक्षा 2-3 में थे तभी उनके पिता का निधन हो गया। -पिता की मौत के बाद ओ.पी. चौधरी की मां कौशिल्या ने तीनों बच्चों की पढ़ाई और परवरिश की जिम्मेदारी उठा ली -पेंशन के रूप में उन्हें जो भी रकम मिली उन्होंने उससे ही बच्चों की पढ़ाई और घर के खर्च को संभाला ।
-गॉव से ही 12वी तक पढ़ने के बाद,ओ.पी. ने भिलाई के एक कॉलेज से ग्रेजुएशन किया। -ग्रेजुएशन की पढाई करते वक़्त ही उन्होंने यूपीएससी की तैयारी की, और पहले ही प्रयास में सेलेक्ट हो गए।
-ओपी चौधरी की पहली पोस्टिंग असिस्टेंट कलेक्टर (Assistant Collector) के रूप में 2006 में कोरबा में हुई,
-उसके बाद 2007 में उन्हें रायपुर में एसडीओ (SDO) बनाया गया। -2007 में उन्हें जांजगीर जिला पंचायत का सीईओ(CEO) बनाया गया। -साल 2011 में उन्हें नक्सल प्रभावित जिला दंतेवाड़ा में कलेक्टर के तौर पर पदस्थ किया गया।
-दंतेवाड़ा कलेक्टर के पद पर रहते हुए उन्होंने आदिवासी क्षेत्रों में रहने वाले बच्चों को विज्ञान की शिक्षा के लिए प्रोत्साहित किया।
ओ.पी. चौधरी ने “छू लो आसमान” नाम की परियोजना भी लाई
-इस परियोजना में , दंतेवाड़ा के विभिन्न हिस्सों के छात्रों को जिला मुख्यालय में लाया गया था और कोचिंग क्लास चलाया गया।दंतेवाड़ा के बच्चों को एग्जाम, इंटरव्यू, पर्सनालिटी डेवलपमेंट के बारे में ट्रेनिंग दिया गया। -उन्होंने जिले में लाइवलीहुड कॉलेज की भी शुरुआत की। जिसे बाद में पूरे प्रदेश में लागू किया गया। -आईएएस ओमप्रकाश चौधरी को नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा जिले में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए प्रधानमंत्री अवार्ड भी मिला । पूर्व प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस के अवसर पर 21 अप्रैल को नई दिल्ली में उन्हें अवार्ड से नवाज़ा।
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