कोरोना संक्रमण में माता के दरबार में पहुचते थे भालू
पिछले साल कोरोना संक्रमण की वजह से मां चंडी का दरबार सूना है, मंदिर में हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ हुआ करता, कोरोना संक्रमण काल में भी भालुओं का परिवार माता रानी की आरती के समय रोजाना मंदिर पहुंच जाया करता था। आरती में शामिल होने के बाद फिर जंगल में वापस चले जाते थे।
चार भालुओं की मौत पांच साल में
छ: भालुओं का परिवार रोजाना मंदिर परिसर भ्रमण करते थे। लेकिन अचानक 2015 में दो भालुओ की कंरट लगने से मौत हो गया। ऐसे ही 2019 में एक नर भालु जो 13 साल से रोजाना चंडी मंदिर पहुंचकर प्रसाद खाने वाले मंदिर परिसर से 300 मीटर दूर खेत में उसकी लाश मिली,इसके अलावा अप्रेल 2021 में भालू का एक शावक का शव मंदिर परिसर से 600 मीटर दूर मिला था।
पशु बलि की मनाही
मां चंडी मंदिर में पशुबलि पूर्ण रुप से प्रतिबंध है, माता चंडी को सिर्फ फल-फूल, साड़ी, श्रृंगार सहित नारियल चढ़ाकर पूजा-अर्चना की जाती है, यहां जो भी अपनी मन्नतें लेकर आता है, माता रानी उसे पूरा करती हैं। सभी की मनोकामना पूरी होने की मान्यता नवरात्र में मां चंडी के दर्शन करने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं।