22270 करोड़ रुपए की राशि के नोट
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक देश के 370 सहकारी बैंकों में 10 नवम्बर से 31 दिसम्बर 2016 के बीच 22270 करोड़ रुपए की राशि के 500 और 1000 रुपए के नोट जमा हुए। गौरतलब है कि नोटबंदी की घोषणा के बाद और जनता को बैंकों में अपने पास जमा पुराने नोट बदलवाने के लिए 30 दिसम्बर 2016 तक का समय दिया गया था। हालांकि 14 नवम्बर 2016 को सरकार ने सहकारी बैंकों में नोट बदलने पर रोक लगा दी थी। सरकार को आशंका थी कि जमा कालेधन को सफेद करने के लिए ऐसे बैंकों का दुरुपयोग हो सकता है।
सहकारी बैंकों की 19 फीसदी राशि इनमें
कुल 370 सहकारी बैंकों में जमा हुई 22270 करोड़ रुपए की राशि का 18.82 प्रतिशत यानी करीब 4191.39 करोड़ इन 10 बैंकों में जमा हुए, जिनके अध्यक्ष विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता हैं। इनमें 4 बैंक गुजरात, 4 महाराष्ट्र, 1 हिमाचल प्रदेश और 1 कर्नाटक का है।
नाबार्ड ने की जांच
आरटीआई में मिली जानकारी के अनुसार नाबार्ड ने इन सभी 370 बैंकों में नोट बदलने वाले लगभग 3115964 लोगों के कागजों की जांच की है। वहीं यह भी जानकारी मिली की ज्यादातर राज्यों में इस तरह के बैंकों का नियंत्रण स्थानीय पार्टियों विशेष तौर पर सत्ता में मौजूद पार्टियों के नेताओं के हाथ में है।
मप्र में खरगौन बैंक
देश के विभिन्न राज्यों के जिन जिला सहकारी बैंकों में सबसे अधिक राशि बदली गई, उनमें से अधिकतर बैंक उन दलों के नेताओं द्वारा चलाए जाते हैं, जो उस समय सत्ता में थे। मध्यप्रदेश के खरगौन जिला सहकारी बैंक ने 113.23 करोड़ रुपए के पुराने नोट बदले, जहां उस समय भाजपा नेता रणजीत डंडीर थे। उत्तरप्रदेश में मेरठ जिला सहकारी बैंक सर्वाधिक 94.72 करोड़ रुपए के पुराने नोट बदलकर राज्य में पहले स्थान पर रहा, जहां उस समय सपा नेता जयवीर सिंह अध्यक्ष थे।