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मकर संक्रांति का समय हर 80 से 100 साल में 1 दिन आगे बढ़ जाता है। 19वीं शताब्दी में कई बार मकर संक्रांति 13 और 14 जनवरी को मनाई जाती थी। पिछले 3 साल से लगातार संक्रांति का पुण्यकाल 15 जनवरी को मनाया जा रहा है। 2017 और 2018 में संक्रांति 14 जनवरी को शाम को अर्की होगी, मकर संक्रांति से कई पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई हैं।
ऐसे बनता है मकर संक्रांति का योग
धनु राशि जब मकर राशि में प्रवेश करती है, तब मकर संक्रांति का योग बनता है। इस बार धनु राशि मकर राशि में 14 जनवरी की अर्धरात्रि के बाद ढाई बजे प्रवेश कर रही है। यही कारण है कि अधिकतर जगहों पर मकर संक्रांति 15 जनवरी को ही मनाई जाएगी।
इस दिन सूर्य उत्तरायण होता है यानी कि पृथ्वी का उत्तरी गोलार्द्ध सूर्य की ओर मुड़ जाता है. परंपराओं के मुताबिक इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है. देश के विभिन्न राज्यों में इस पर्व को अलग-अलग नामों से जाना जाता है. उत्तर प्रदेश में इसे खिचड़ी (Khichdi), उत्तराखंड में घुघुतिया (Ghughutiya) या काले कौवा (Kale Kauva), असम में बिहू (Bihu) और दक्षिण भारत में इसे पोंगल (Pongal) के रूप में मनाया जाता है.
लगभग 80 साल पहले उन दिनों के पंचांगों के अनुसार मकर संक्रांति 12 या 13 जनवरी को मनाई जाती थी, लेकिन अब विषुवतों के अग्रगमन के चलते इसे 14 या 15 जनवरी को मनाया जाता है. साल 2020 में इसे 15 जनवरी को मनाया जाएगा.
मकर संक्रांति 2020 का शुभ मुहूर्त
मकर संक्रांति 2020- 15 जनवरीसंक्रांति काल- 07:19 बजे (15 जनवरी)पुण्यकाल-07:19 से 12:31 बजे तकमहापुण्य काल- 07:19 से 09: 03 बजे तकसंक्रांति स्नान- प्रात: काल, 15 जनवरी 2020
मकर संक्रांति की पूजा विधि
– इस दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठ जाएं और नहाने के पानी में तिल डालकर स्नान करें।
– संभव हो तो इस दिन किसी पवित्र नदी में जाकर स्नान कर लें इससे पुण्य फल की प्राप्ति की मान्यता है।
– जो लोग इस दिन उपवास रखना चाहते हैं वो व्रत रखने का संकल्प लें और श्रद्धा के अनुसार दान भी जरूर करें।
– सूर्य देव को जल चढ़ाने के लिए एक तांबे के लोटे में जल लेकर उसमें लाल फूल, चंदन, तिल और गुड़ मिला लें और इस जल के मिश्रण को भगवान सूर्य देव को समर्पित कर दें।
– ‘ऊं सूर्याय नम:’ मंत्र का जाप सूर्य को जल चढ़ाते हुए करें।
– इस दिन दान में आटा, दाल, चावल, खिचड़ी और तिल के लड्डू विशेष रूप से बांटे।