शहर में एंबुलेंस का किराया ङ्क्षजदा-मुर्दा देखकर तय होता है। इलाज के बाद घर लौटने वालों से 100 किलोमीटर पर 7-8 हजार रुपए चार्ज किए जा रहे हैं। लाश ले जाने की बात आए, तो यही किराया 3 से 4 गुना बढ़ जाता है। लूट का ये धंधा एम्स, आंबेडकर अस्पताल और पंडरी जिला चिकित्सालय के आसपास तेजी से फलफूल रहा है। यह इसलिए भी हो रहा है कि मुक्तांजलि वाहन जैसी मुफ्त सेवा लोगों को नहीं मिल पा रही है।
रोज 30 पोस्टमार्टम, मुक्तांजलि नाकाफी मर्डर, सड़क हादसे या संदिग्ध परिस्थिति में मौत होने पर पोस्टमार्टम जरूरी होता है। एम्स, आंबेडकर और पंडरी अस्पताल में रोज करीब 30 शवों का पोस्टमार्टम होता है। ये बॉडी दूसरे जिलों से भी आते हैं। इस कारण पोस्टमार्टम के बाद वापस उन्हीं शहरों व गांवों में शव को (Raipur news) ले जाना पड़ता है। शासन की ओर शव ले जाने मुक्तांजलि वाहन हैं, लेकिन वे पर्याप्त नहीं हैं।
25 रुपए प्रति किमी होना चाहिए किराया पत्रिका से बातचीत में ट्रांसपोर्टर तेङ्क्षजदर ङ्क्षसह होरा ने बताया, शहर में 8 से लेकर 15 सीटर फोर व्हीलर में निजी एंबुलेंस चलाए जा रहे हैं। इन गाडिय़ों का किराया 22 से 25 रुपए प्रति किलोमीटर है। गाड़ी में ऑक्सीजन की सुविधा है तो कीमत में 1-2 रुपए का अंतर आ सकता है। पत्रिका टीम ने जब एंबुलेंस चालकों द्वारा ली जाने वाली रकम पता की तो प्रति किलोमीटर का किराया 80 से 100 रुपए तक सामने आया।
अघोषित टैक्सी स्टैंड बना एम्स, आंबेडकर अस्पताल और पंडरी जिला अस्पताल के आसपास प्राइवेट एंबुलेंस वालों ने अघोषित टैक्सी स्टैंड जैसा बना रखा हैं। हर अस्पताल के बाहर 15-20 निजी एंबुलेंस खड़ी रहती हैं। इनके एजेंट अस्पताल और मरच्यूरी के आसपास मंडराते रहते हैं। पीएम के लिए शव आते ही मृतकों के परिजनों से संपर्क करते हैं। दूरी के हिसाब से 3 से 4 गुना ज्यादा किराया वसूलते हैं। इलाज में खर्च और फिर मौत हो जाने से टूट चुके परिवार वालों के लिए एंबुलेंस का किराया दोहरी मार के बराबर होती है।
पत्रिका लाइव रोते-बिलखते रिश्तेदारों का दर्द आंबेडकर अस्पताल दोपहर 1.20 बजे : मरच्युरी के बाहर काफी लोग एकजुट थे। आत्महत्या, एक्सीडेंट में जान गंवा चुके लोगों की लाशें पीएम के लिए पहुंची थीं। बाहर रिश्तेदारों की भीड़ थी। इस भीड़ के बीच कुछ एंबुलेंस चालक भी दिखे। वे परिजनों से उनका दर्द पूछने के बहाने ये पता लगा रहे थे कि केस कहां से आया है? बेमेतरा से आए एक परिवार ने शव ले जाने के लिए किराया पूछा। एंबुलेंस वाले ने किराया 12 हजार रुपए बताया। मृतक के परिजनों ने कहा कि ये तो बहुत ज्यादा है। परिवार दूसरे एंबुलेंस वाले से पूछने गया। सबने वही रेट बताया। ऐसा लगा कि संगठित गिरोह की तरह काम चल रहा है।
पंडरी में जिला अस्पताल दोपहर 2. 06 बजे : पंडरी में जिला अस्पताल के लिए जाने वाली सड़क के ईर्द-गिर्द एंबुलेंस नजर आने लगते हैं। मर्चुरी के पास एक परिवार दिखा। महिला और बच्चों की आंखें नम थीं। पूछने पर उन्होंने बताया कि इलाज के लिए पति को खरोरा से रायपुर लाए थे। पति की बीमारी के चलते परिवार पहले ही आर्थिक रूप से कमजोर हो गया था। रविवार को उनका देहांत हो गया। फिलहाल उनके पास 4 हजार ही हैं। एंबुलेंस वाले लाश ले जाने के लिए ज्यादा पैसे लगने की बात कह रहे हैं। 10 हजार मांग रहे हैं। शहर में रहने वाले रिश्तेदारों से पैसे मंगाए हैं।
क्या कहता है प्रबंधन, पढि़ए… किसी भी निजी एंबुलेंस चालक को अस्पताल परिसर के अंदर गाड़ी खड़ी कर बुङ्क्षकग करने की अनुमति नहीं है। बाहर कुछ लोग ये काम कर रहे हैं। पहले भी इनके खिलाफ शिकायतें आई थी तो कार्रवाई हुई थी। कोई अनाप-शनाप वसूली करता है तो वे अस्पताल प्रबंधन से इसकी शिकायत कर सकते हैं।
– डॉ. एसबीएस नेताम, अधीक्षक, आंबेडकर अस्पताल समय-समय पर चेङ्क्षकग की जाती है। ऐसी शिकायत फिलहाल नहीं आई है। किसी परिजन को ऐसी समस्या आती है तो वे सीधे मुझसे शिकायत कर सकते हैं। सरकार द्वारा शवों के लिए मुक्तांजलि वरहन चलाया जाता है। हमारे यहां यह उपलब्ध है। बेलगाम वसूली करने (CG Hindi News) वालों से सख्ती से निपटेंगे। – डॉ. एसके भंडारी, सिविल सर्जन, पंडरी जिला चिकित्सालय