आपने चखा है कभी लहसुन के नमक का स्वाद, जानिये बनाने का तरीका और इसके बेमिसाल फायदे
लेकिन इसे बीमारी नहीं माना जाता है लेकिन सामान्य की श्रेणी में भी नहीं आता है। नींद में बड़बड़ाने वाले व्यक्ति एक समय में 30 सेकेंड से ज्यादा नहीं बोलते है वो कुछ देर बोलकर चुप कर जाते हैं।
ऐसा कुछ स्थितियों में होता है आइए जानते है इस बारे में ज्यादा क्यों लोग नींद में बाते करना या बड़बड़ाना शुरु कर देते है और इसके कुछ कारगार उपाय।
ये लोग ज्यादा नींद में बड़बड़ाते है?
आप जानना चाहते होंगे कि किस उम्र के लोग ज्यादातर नींद में बातें करते है तो एक शोध की मानें तो 3 से 10 साल के तकरीबन आधे से ज्यादा बच्चे अपनी बातों को नींद में पूरा करते हैं। वहीं 5 फीसदी बड़े भी नींद में बात करते हैं। ऐसा कभी-कभी भी हो सकता है या हर रात भी हो सकता है। इसके अलावा लड़कों से ज्यादा लड़कियां नींद में बड़बड़ाती है।
आरईएम स्लीप बिहैवियर डिसआर्डर
सोते हुए चीखने-चिल्लाने या हाथ-पैर चलाने की आदत डिमेंशिया (निद्रारोग) अथवा पार्किंसन जैसी बीमारियों के लक्षण होते हैं। इस बीमारी को ‘आरईएम स्लीप बिहैवियर डिसआर्डर’ कहा जाता है। आरईएम नींद का वो चरण है। जहां नींद के दौरान या सपने में जो कुछ भी हो रहा है उसे हम सच समझने लगते हैं। आरईएम के अलावा, दवाओं का रिएक्शन, तनाव, मानसिक स्वास्थ्य समस्या से भी लोग नींद में बड़बड़ाने लगते हैं।
अपने समय पर सोएं
समय पर सोएं इससे नींद में बड़बड़ाने की आदत से छुटकारा मिल जाएगा। ऐसा माना जाता है कि रात में सही समय से सोने और सुबह सही समय से उठने से यह समस्या नहीं होती है। इसके साथ अपनी नींद पूरी जर्ना भी जरुरी है। अगर ऐसा नहीं होता है तब भी यह समस्या होती है।
एक्सरसाइज है जरूरी
कई बार शरीर में ब्लड सर्कुलेशन ठीक से ना होने के कारण भी नींद में बड़बड़ाने की आदत हो जाती है। इसलिए ब्लड सर्कुलेशन को नियमित रखने और दिमाग और शरीर को स्वस्थ रखने के लिए योगा और एक्सरसाइज करें
संगीत सुने
संगीत दिमाग को स्थिर रखता है और सारा तनाव दूर करता है। सोने से पहले अपने पसंद के गाने सुने। इससे आपको नींद भी अच्छी आएगी और नींद में बड़बड़ाने की आदत भी कम हो जाएगी।
साइकोथैरेपिस्ट की मदद लें
अगर आप रोज़ाना इस समस्या से जूझ रहे हैं तो ऐसे में आपको किसी साइकोथैरेपिस्ट से मिल कर सलाह लेनी चाहिए। पूर्ण चिकित्सकीय राय से इस परेशानी से बचा जा सकता है।