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बदल जाता है स्वाद
इसी तरह इलेक्ट्रिक पारम्परिक तरीकों से चटनी या मसाला पीसने से उनका नैचुरल स्वाद बना रहता है। अक्सर इलेक्ट्रॉनिक मशीनों की मदद से मसाले पीसने से मसालों के स्वाद बदल जाते हैं। दरअसल इन मशीनों को चलाने से जार में गर्मी पैदा हो जाती है जो मसालों के स्वाद को प्रभावित करती है। जबकि पारम्परिक तरीकों में मसाले नैचुरल हवा के सम्पर्क में रहते हैं और इसीलिए उनका स्वाद बरकरार रहता है। इसका सीधा मतलब है कि उनके पूरे फायदे मिलते हैं आपको।
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बढ़ती है भूख
जब आप सिल बट्टे पर मसाला पीसते हैं तो मसालों की खुश्बू धीरे-धीरे फैलती है। यह खुश्बू आपकी नाक के ज़रिए आपके दिमाग तक पहुंचती है और आपके दिमाग को इन मसालों के स्वाद के प्रति आकर्षित करती है। इस तरह भोजन में आपकी रूचि भी बढ़ती है जिससे आपकी भूख भी बढ़ती है।
मोटापा होता है कम
सिल बट्टा आपके मोटापे को भी कम कर सकता है। जी हां, अगर आप इसमें किसी चीज को पीसते हो तब यह एक तरह से आपको व्यायाम करवाता है। और इसका असर ये होता की आपकी चर्बी धीरे-धीरे घटने लगती है और आप आसानी से पतले होने लगते हो। लेकिन इसके लिए आप रोज कुछ ना कुछ इस पत्थर की सिला पर पीसना होगा।
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नहीं होती है सिजेरियन डिलीवरी
आपने देखा होगा कि गांव में आज भी ज्यादात्तर नॉर्मल डिलीवरी होती हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह है की वे आज भी गांव में सिल बट्टे का प्रयोग करती हैं। क्योंकि जब सील बट्टे को प्रयोग किया जाता है तब उससे एक तरह से यूटरेस का व्यायाम भी होता चला जाता है। इस वजह से भी नॉर्मल डिलीवरी होती है।