आमतौर पर नवरात्रि का पाठ या कलश स्थापना करते हैं तो हम 2, 5 या 7 साल के लिए इस व्रत को धारण कर रहे हैं। ऐसे में व्रत लगातार किया जाता है। ऐसा नहीं है एक साल व्रत किया और दूसरी साल पीरियड्स की वजह से व्रत छोड़ दिया । इस बीच कुछ खास बातों का ध्यान रखकर हम व्रत को पूरा सकते हैं।
– पहले से चौथे दिन यदि कोई महिला पीरियड से गुजरती है तो पति या पंडित से कलश स्थापना करा सकते हैं। इस दौरान महिला व्रत के सभी नियमों का पालन सकती हैं। शास्त्रों में वर्णित है कि कोई भी महिला अशुद्ध अवस्था में है तो वह मानसिक पूजा करें। व्रत का संपूर्ण फल आपको मिलता है। मानसिक रूप से किसी भी व्रत को करने से कोई मनाही नहीं है।
– यदि किसी महिला को नवरात्रि के बीच में मासिक धर्म आता है तो चार दिनों तक पूजा नहीं करना चाहिए। पांचवें से महिला पूजा में सम्मिलित हो सकती है। इस दौरान पीरियड से गुजरने वाली महिलाओं को माता का भोग नहीं तैयार करना चाहिए। इस दौरान महिलाओं का पूजा स्थल पर जाना वर्जित होता है।पूजा की किसी भी सामग्री को स्पर्श नहीं करना चाहिए।
– अगर पाचंवे दिन कोई महिला पीरियड्स में रहती है तो ऐसे स्थिति में कन्या पूजन और हवन नहीं कर सकते हैं। इस दौरान परिवार के किसी सदस्य के द्वारा कन्या पूजन और हवन करवाना चाहिए।