चापलूसी नहीं, लड़कों की काबिलियत से ही प्रभावित होती हैं लड़कियां
Chhattisgarh News: रायपुर। आपने एक हसीना दो दीवाने फिल्म तो देखी होगी। अगर किसी हसीना के पांच दीवाने हों तो? ऐसा ही हुआ शनिवार को सड्डू स्थित जनमंच में। हरिशंकर परसाई की व्यंग्य कथा पर आधारित एक लड़की पांच दीवाने नाटक का निर्देशन रचना मिश्रा ने किया। करीब पांच दशक पहले लिखी इस कथा की नायिका अपने सभी दीवानों के मन में प्यार का भ्रम पैदा करती है, लेकिन जब जीवन साथी चुनने की बारी आती है तो आज की आधुनिक युवती की तरह ही उस शख्स का चुनाव करती है जो जिंदगी में सैटल है।
नाटक वर्तमान समय के प्रेम की दास्तां को दर्शाता है। नाटक एक ओर दर्शकों को गुदगुदाता है, साथ ही यह संदेश देता है कि लड़कियां लड़कों की चापलूसी से (cg news) नहीं उनकी काबिलियत से प्रभावित होती हैं। जिस प्रकार वर्तमान में लड़कियों का ध्यान अपनी ओर खींचने के लिए आजकल लड़के अजीबोगरीब हरकतें करते हैं। हाल यह होता है कि एक लड़की के कई दीवाने होते हैं और ये दीवाने अपने मन में प्रेमिका मान बैठे लड़की को इंप्रेस करने के लिए हर मुमकिन प्रयास करते हैं।
सीधी-साधी लड़की चतुर बन जाती है नाटक में बताने की कोशिश की गई है कि निम्न मध्यमवर्गीय की लड़की कथित प्रेम और आकर्षण से उपर उठकर एक नौकरी पेशा व्यक्ति के साथ जीवन संगिनी बनने को प्राथमिकता देती है। सभी दीवाने मिलकर उस सीधी साधी लड़की को चतुर बना देते हैं। जिसके चलते (raipur news) नाटक के अंत में लड़की इन सब दीवानों को नकारकर किसी और से शादी कर लेती है। उसकी शादी के बाद पांचों दीवानों को जैसे सांप सूंघ जाता है।
लड़की की शादी होते ही घर के सामने दीवानों की भीड़ सी लग जाती है। तभी वहां से पहुंचता हुआ राहगीर दूसरे से पूछता है कि क्या कोई मौत हो गई है? इसी बीच (cg news) मोहल्ले का एक मसखरा कहता है एक नहीं चार-पांच मौतें हो गई हैं। आखिर में पांचों दीवानें कहते हैं दिल के टुकड़े-टुकड़े करके कहां चल दिए।