बताया जाता है कि शराब और डीएमएफ घोटाले की जांच मिले इनपुट और
गरियाबंद एवं मैनपुर में स्थानीय ग्रामीणों के शिकायती पत्र के आधार पर की गई है। यह पत्र पिछले काफी समय से सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। इसमें बताया गया था कि गुलाम मेमन के पास किसी भी तरह के आय का साधन नहीं होने के बाद भी करोड़ों रुपए की प्राॅपर्टी खरीदने और निर्माणाधीन राइस मिल का ब्योरा दिया गया था।
शिकायत की जांच करने के बाद ईडी ने छापे की कार्रवाई की। बता दें कि शराब घोटाले में जेल भेजे गए अनवर ढेबर के मौसा इकबाल मेमन और गुलाम मेमन चचेरा भाई है। इस प्रकरण में ईडी ढेबर भाइयों के घर भी दो वर्ष पूर्व में छापेमारी कर चुकी है।
ग्रामीणों ने की थी लिखित शिकायत
गरियाबंद के गुलाम मेमन के खिलाफ ग्रामीणों का एक शिकायत पत्र वायरल हुआ था। इसमें आय के साधन नहीं होने का आरोप लगाते हुए भारी मात्रा में पैसा होने का आरोप लगाया है। ग्रामीणों की शिकायत अनुसार, गुलाम ने अपने चचेरे भाई सरफराज के नाम से मैनपुर से तीन किलोमीटर दूर करोड़ों रुपए की जमीन खरीदना बताया गया था। साथ ही ब्लैकमनी से ग्रामीणों ने गुलाम द्वारा मैनपुर में राइस मिल खोलने का ग्रामीणों ने आरोप लगाया। ईडी की टीम बाइक से पहुंची
ईडी की टीम गोपनीय रखने बाइक से मौदहापारा में छापा मारने के लिए सुबह पहुंची। जब टीम रफीक के घर छापे की कार्रवाई करने पहुंची, उस समय उनका पूरा परिवार सो रहा था। ईडी की टीम ने परिवार को सोते से जगाया और अपना परिचय देते हुए पूछताछ करने के साथ सर्च की कार्रवाई की।
चावल का कारोबार
चावल और कबाड़ का कारोबार करने वाले रफीक और गुलाम के खिलाफ मिली शिकायत के आधार पर ईडी ने जांच की। इस दौरान मिले इनपुट के आधार पर उनके ठिकानों पर छापा मारा गया। बताया जाता है कि रफीक मेनन एक लंबे अरसे से ईडी की टीम निगाह रखी हुई थी। साथ ही अनवर ढेबर की संपत्ति और इन्वेस्टमेंट की खोज में लगी है। ईडी को जानकारी मिली है कि अनवर ने बोगस बिल के जरिए इन्वेस्टमेंट शो किया था। इकबाल मेमन और गुलाम मेमन ने डेढ़ साल पहले राइस मिल खरीदी थी। इसके अलावा गरियाबंद और आसपास ईडी को बड़े पैमाने पर संपत्ति खरीदे जाने के दस्तावेज मिल रहे हैं। प्रारंभिक जांच के बाद ईडी को अंदेशा है कि यह पूरा इन्वेस्टमेंट बेनामी है, जिसके लिए फंड रायपुर से पहुंचना बताया जा रहा है।