इसी दौरान अधिकारी का ट्रांसफर दूसरे जिले में हो गया और रायपुर वन मंडल की कमान सम्हालने वाली अधिकारी ने ठेकेदार का भुगतान रोक दिया, तो पूरे मामले की पोल खुल गई। मामलें में विभागीय अधिकारी अब अधिकृत जानकारी से बच रहे है। मामले में मुख्यालय के अधिकारियों से चर्चा करने की बात कहते हुए रायपुर वन मंडल के अफसर पल्ला झाड़ रहे है।
इनके कार्यकाल में हुआ कारनामा
वर्ष 2018 में डीएफओ उत्तम गुप्ता ने रायपुर वन मंडल की कमान सम्हाली थी। रायपुर वन मंडल के अधीनस्थ आने वाले वन विभाग के भवनों पुताई और रिपेयरिंग कराने का निर्देश मुख्यालय के अफसरों ने दिया था। डीएफओ गुप्ता ने अपने करीबी ठेकेदार अग्रवाल को बिना टेंडर 45 लाख काम दे दिया।
ठेकेदार ने पंडरी और माना स्थित वन विभाग के भवनों में पुताई और रिपेयरिंग का काम किया और किश्तो में वन अधिकारियों से भुगतान भी लिया। नवंबर माह में डीएफओ उत्तम गुप्ता का ट्रांसफर हो गया और ठेकेदार अग्रवाल का पैसा प्रभारी डीएफओ ने रोक दिया तो ठेकेदार ने प्रभारी डीएफओ के कार्यालय में आकर विवाद कर दिया। इस विवाद की जानकारी प्रभारी डीएफओ ने वरिष्ठ अधिकारियों को दी है।
अब मामला दबाने में जुटे वन अधिकारी
डीएफओ कार्यालय में ठेकेदार और अधिकारी का विवाद मीडिया में फैला तो रायपुर वन मंडल के अधिकारियों ने अपने-अपने स्तर में उसे दबाना शुरू कर दिया। रायपुर स्थित वन विभाग कार्यालय में बैठने वाले डीएफओ, सीसीएफ, उपवनमंडल अधिकारी पूरे प्रकरण से अनभिज्ञता जता रहे है और मामलें में वरिष्ठ अधिकारियों से बात करने के लिए कह रहे है।
वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर काम
वन विभाग के जानकारों की माने तो तत्कालीन डीएफओ ने वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर ठेकेदार अग्रवाल को काम दिया था। पंडरी रेंज ऑफिस, पंडरी और माना स्थित वन विभाग की कॉलोनियों में पुताई और रिपेयरिंग करना था। जानकारों की माने तो जो काम २५ से ३० लाख के बीच में हो जाना था, उस काम को करने के लिए ठेकेदार ने ४५ लाख रुपए चार्ज किया। विभागीय अधिकारियों के निर्देश के कारण तत्कालीन डीएफओ ने शासकीय पैसे को दोनो हाथों से खर्च किया।
अधिकारियों से बात करें
मेरे कार्यकाल से पहले का यह काम है। इस मामलें में विभागीय अधिकारियों से आप चर्चा कर ले। हमने जानकारी उन्हें दे दी है।
एम.मर्सीबेला, डीएफओ, रायपुर।
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जांच कराएंगे
आप जिस मामलें की बात कह रहे हो, संबंधित अधिकारियों से उसकी जानकारी लेकर जांच कराएंगे। नियमों का उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई की जाएगी।
अतुल शुक्ला, पीसीसीएफ, वाइल्ड लाइफ
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टेंडर की जरूरत नहीं
रिपेयरिंग और पुताई का काम था। अलग-अलग सेक्शन का काम था और अधिकारियों ने निर्देश दिया था। मैं देहरादून में हूं, आकर बात करता हूं।
उत्तम गुप्ता, तत्कालीन डीएफओ
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