छात्र एग्जिट टेस्ट तभी दे पाएंगे, जब वे फाइनल ईयर का परीक्षा पास कर पाएंगे। इसके बाद यह टेस्ट देना होगा। डी. फार्मेसी दो साल का कोर्स है। दरअसल फार्मेसी काउंसिल में बिना रजिस्ट्रेशन के किसी भी फार्मासिस्ट को लाइसेंस जारी नहीं होता। लाइसेंस ड्रग विभाग जारी करता है। इसके लिए विभाग को काउंसिल का रजिस्ट्रेशन नंबर चाहिए। विशेषज्ञों के अनुसार एग्जिट टेस्ट होने से फार्मेसी की पढ़ाई करने वाले अच्छे छात्र पास हाेंगे। इससे इसकी क्वालिटी सुधर सकती है। सरकारी व निजी कॉलेज या अस्पतालों में नौकरी के लिए भी काउंसिल में पंजीयन अनिवार्य है। देशभर में एक हजार से ज्यादा फार्मेसी कॉलेज हैं।
हर साल करीब 60 हजार छात्र फार्मेसी की पढ़ाई करते हैं। प्रदेश में पिछले साल फार्मेसी की फर्जी डिग्री का मामला भी सामने आया था। इसमें काउंसिल की लापरवाही भी सामने आई थी। हालांकि जांच पड़ताल के बाद काउंसिल ने 50 फर्जी फार्मासिस्टों का पंजीयन रद्द कर दिया था। वहीं 30 फार्मासिस्टों का पंजीयन सस्पेंड किया गया था। कुछ लोगों ने उत्तरप्रदेश, बिहार, झारखंड, राजस्थान व तमिलनाडु के कॉलेजों के फर्जी सर्टिफिकेट बनवा लिए थे। इसी सर्टिफिकेट के आधार पर स्टेट फार्मेसी काउंसिल में रजिस्ट्रेशन भी करवा लिया था।
एक साल में दो बार होगा टेस्ट एग्जिट टेस्ट साल में दो बार होगा। इसके लिए फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया समय-समय पर सर्कुलर जारी करेगा। फार्मास्यूटिक्स, फार्मोकोलॉजी, फार्माकोग्नोसी, फार्मास्यूटिकल केमिस्ट्री, बायो केमिस्ट्री, हॉस्पिटल एंड क्लीनिकल फार्मेसी, फार्मास्यूटिकल जूरिप्रूडेंस एंड ड्रग स्टोर मैनेजमेंट में मल्टीपल च्वॉइस के तीन परचे होंगे। इन्हीं विषयों में फार्मेसी पास छात्रों को एग्जिट टेस्ट देना होगा।