निजी अस्पतालों में मेदांता, सर गंगाराम, शेल्बी, जशलोक, सीएमसी, कोकिला बेन समेत कई प्रतिष्ठित अस्पताल है, जिन्हें अधिमान्यता दी गई है। पिछले साल महज आधा दर्जन अस्पतालों को इलाज के लिए अधिमान्य करने पर अधिकारियों व
कर्मचारियों ने सवाल उठाए थे। दरअसल सीमित अस्पताल होने से उन्हें पसंद के अस्पताल में इलाज कराने का मौका नहीं मिल रहा था। प्रदेश के 100 से ज्यादा अस्पतालों में भी कर्मचारी इलाज करवा सकते हैं।
सामान्यत: मरीज दूसरे राज्य इसलिए जाते हैं ताकि उन्हें एडवांस इलाज मिल सके। हालांकि राजधानी के बड़े निजी अस्पतालों में भी ज्यादातर बीमारियों का इलाज किया जा रहा है। हालांकि, कई मरीज नाम से दूसरे राज्यों के अस्पताल में इलाज कराना पसंद करते हैं। इसके लिए
कर्मचारियों को कैश देना होगा। फिर इलाज की राशि का रिअंबर्समेंट किया जाता है। अधिमान्य अस्पतालों में कैशलेस इलाज का प्रावधान नहीं होता।
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