CG News: छत्तीसगढ़ में भी मखाने की खेती की शुरुआत इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के धमतरी स्थित कृषि विज्ञान केंद्र के द्वारा की गई थी। स्वयं मखाने की खेती करने वाले राज्य के कृषि मंत्री ने इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय की ओर से रायपुर में 25 अक्टूबर तक आयोजित होने वाले किसान मेले में मखाना प्रसंस्करण एवं उत्पादन का संजीव प्रदर्शनी लगाने के निर्देश दिए हैं।
CG News: इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में होगा आयोजित
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कीट वैज्ञानिक डॉ.गजेंद्र चंद्राकर ने अपने आरंग विकासखंड के ग्राम लिंगाडीह में 30 एकड़ में मखाने की खेती प्रारम्भ की है और सफलतापूर्वक उत्पादन ले रहे हैं और साथ ही साथ मखाना के प्रसंस्करण भी कर रहे हैं। डॉ. चंद्राकर को पिछले 3 साल से बिहार में
आयोजित होने वाले राष्ट्रीय मखाना महोत्सव में अतिथि के रूप में बुलाया जा रहा है। ड्राइ फ्रूट में शामिल मखाना की खेती का प्रयोग धमतरी जिले से प्रारम्भ कर किसानों के खेतों में भी लगाने का प्रयास किया गया।
यह पानी वाले स्थानों व दलदली क्षेत्रों, बांधों के तराई में खूब मुनाफा देने वाली फसल है। एक एकड़ में मखाना लगाने पर एक फसल में करीब 90 हजार रुपए से ज्यादा शुद्ध लाभ कमाया जा सकता है। इसमें धान की फसल की अपेक्षा मेहनत थोड़ी ज्यादा है लेकिन इसमें नुकसान की आशंका लगभग शून्य व अन्य खर्च भी बेहद कम है। एक बार लगाने के बाद फसल तैयार होने पर मखाना निकालने के लिए जाना पड़ता है।
मखाना की फसल आने के बाद यदि बीज से मखाना निकालकर बेचा जाता है तो फायदे को तीन गुना तक बढ़ाया जा सकता है।