हाईकोर्ट ने इसे स्वत: संझान में लिया है। इसके बाद शासन को इस संबंध में आदेश जारी करना पड़ा है। स्वास्थ्य विभाग के एसीएस मनोज पिंगुआ ने इस संबंध में कमिश्नर मेडिकल एजुकेशन, हैल्थ डायरेक्टर, आयुष डायरेक्टर, सभी डीन, सीएमएचओ व सिविल सर्जन को आदेश का सख्ती से पालन करने को कहा है। 8 जून को पीएचसी नवानगर में डॉक्टर व नर्स की अनुपस्थिति में महिला की डिलीवरी हुई थी।
इस मामले को पत्रिका ने प्रमुखता से छापा था। एसीएस ने आदेश में कहा गया है कि किसी महिला मरीज का फोटो लेना व वीडियो बनाना निजता का उल्लंघन है। इससे महिलाओं की सामाजिक प्रतिष्ठा व सम्मान पर बुरा असर पड़ता है। सरकारी अस्पतालों में न केवल सामान्य लोग बल्कि सरकारी स्टाफ भी मरीज का न फोटो ले सकता है और न वीडियो बना सकता है।
पिंगुआ ने आदेश में कहा है कि हम सभी को निजता का सम्मान करना चाहिए। व्यक्तिगत अधिकारों का उल्लंघन न करें। ध्यान देने वाली बात ये है कि अस्पतालों में स्टाफ व कुछ डॉक्टर मरीजों की बिना अनुमति के फोटो लेता है और वीडियो भी बना लेता है। नेशनल मेडिकल कमीशन के अनुसार मरीज की अनुमति के बिना ऐसा करना नियमों का उल्लंघन है।
CG Delivery on Floor: मामले में बीएमओ राजवाड़े व स्टाफ नर्स पैकरा सस्पेंड
इस मामले में लापरवाही बरतने पर शासन ने बीएमओ डॉ. पीएन राजवाड़े व सीएमएचओ ने स्टाफ नर्स कन्या पैकरा को सस्पेंड कर दिया था। दरअसल लोगों ने वीडियो बनाने के दौरान प्रसूता महिला की निजता का ध्यान नहीं रखा। सोशल मीडिया में डिलीवरी का वीडियो वायरल होने के बाद न केवल महिला, बल्कि उनके परिजनों को भी काफी परेशानी हुई।