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रायपुर

400 करोड़ रुपए का कर्ज नहीं चुकाया, बैंक ने आरडीए को डाला ब्लैकलिस्ट में

आरडीए के महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट कमल विहार को सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की रायपुर शाखा ने डिफॉल्टर घोषित कर दिया है

रायपुरNov 17, 2018 / 10:04 am

Deepak Sahu

RDA

400 करोड़ रुपए का कर्ज नहीं चुकाया, बैंक ने आरडीए को डाला ब्लैकलिस्ट में

रायपुर. राज्य सरकार व रायपुर विकास प्राधिकरण (आरडीए) के महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट कमल विहार को सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की रायपुर शाखा ने डिफॉल्टर घोषित कर दिया है, लेकिन अभी टेकओवर नहीं किया गया है। आरडीए ने बीते तीन महीनों से लगभग 120 करोड़ की किश्तें जमा नहीं की है। आरडीए का कमल विहार एनपीए (नॉन परफार्मिंग एसेट) हो चुका है, जिसके बाद बैंक ने आरडीए को काली सूची में डाल दिया है। बैंक ने आरडीए को दोबारा लोन देने से भी मना कर दिया है।
आरडीए ने कमल विहार के निर्माण के लिए अलग-अलग वर्ष में 2011 से कुल 600 करोड़ का लोन लिया, जिसमें सिर्फ 150 करोड़ की राशि मूलधन में जमा हुई। लगभग 400 करोड़ का लोन अभी भी बाकी है। आरडीए में कुल प्रापर्टी की कीमत लगभग 1400 करोड़ रुपए बताई जा रही है, लेकिन सभी प्रापर्टी का बिकना अभी बाकी है। रियल एस्टेट के विशेषज्ञों का मानना है कि आरडीए का कमल विहार कुप्रबंधन का शिकार हुआ। समय पर प्रोजेक्ट पूरा नहीं किया जा सका। जमीनों पर वाद-विवाद की वजह से प्रापर्टी की बिक्री में कमी आई। बैंक का ब्याज साल-दर साल बढ़ता गया, जिससे डिफॉल्टर होने की स्थिति आई।

अब 2029 तक का समय मांगा
आरडीए ने सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया को लोन अदा करने के लिए बैंक से 2029 तक का समय मांगा है। लेकिन बैंक की ओर से इतने लंबे समय का विचार नहीं किया जा रहा है। आरडीए ने इससे पहले भी लोन के लिए रिस्ट्रिचरिंग की गुजारिश की थी।

बैंक कर सकता है टेकओवर: समय पर कर्ज अदा नहीं करने की स्थिति में बैंक प्रबंधन आरडीए के कमल विहार को टेकओवर कर सकता है। टेकओवर करने की स्थिति में आरडीए की बाकि सम्पत्ति को बेचकर लोन की वसूली किए जाने का नियम है। चूंकि कमल विहार में कुल 11 हजार प्लॉट है, लिहाजा कमल विहार प्रोजेक्ट पर असर नहीं होगा, लेकिन आरडीए की बाकी सम्पत्ति को नीलाम करने की स्थिति आ सकती है। टेकओवर के बाद कमल विहार का संचालन बैंक के जरिए होगा।

डिफॉल्टर होने की पीछे ये हैं वजह
1. समय पर प्रोजेक्ट पूरा नहीं हो पाना
2. वित्तीय अनियमितता
3. आरडीए के जमीनों पर विवाद
4. जमीन की रजिस्ट्रिी, नामांतरण पर विवाद
5. अधोसरंचना आधे-अधूरे, जरूरी सुविधाएं नहीं

एक नजर में
कमल विहार निर्माण के लिए राजपत्र में प्रकाशन- वर्ष 2010
निर्माण शुरू-वर्ष 2011
कुल लागत- 600 करोड़ से अधिक
बैंक लोन- 500 करोड़ पहली किश्त, 100 करोड़ दूसरी किश्त
मूलधन जमा- लगभग 150 करोड़
प्रति वर्ष ब्याज-लगभग 65 करोड़
हर तीन महीने के किश्तें- लगभग 40 करोड़
पेनाल्टी- हर महीने 3 से 4 लाख

लगभग 1400 करोड़ की प्रापर्टी
1600 एकड़ के कमल विहार में आरडीए ने लगभग 40 फीसदी से अधिक जमीन भू-स्वामियों को दे दी है, जिसमें उन्हें कुल भू-भाग का 35 फीसदी जमीन आवंटित की गई। इसके साथ ही 50 फीसदी क्षेत्रफल में अधोसंरचना निर्माण जैसे सडक़, गार्डन आदि के लिए आरक्षित रखा गया है। कमल विहार में लगभग 70 लाख वर्गफीट जमीन यानी 150 एकड़ से अधिक जमीन पर आवासीय, व्यवसायिक, मिश्रित आदि जमीनों की खरीदी-बिक्री के लिए रखी गई है।

तीन महीने से किस्तें जमा नहीं
आरडीए ने बीते तीन महीने से बैंक की किस्तें जमा नहीं की है। यह राशि लगभग 120 करोड़ की है। ब्याज और मूलधन मिलाकर आरडीए को हर महीने लगभग 40 करोड़ की किस्त देनी होती है। आरडीए हर तीन महीने में किश्ते जमा करता है, लेकिन बीते तीन महीनों में आरडीए पर 10 लाख से अधिक की सिर्फ पेनाल्टी लगया जा चुका है।

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