अब 2029 तक का समय मांगा
आरडीए ने सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया को लोन अदा करने के लिए बैंक से 2029 तक का समय मांगा है। लेकिन बैंक की ओर से इतने लंबे समय का विचार नहीं किया जा रहा है। आरडीए ने इससे पहले भी लोन के लिए रिस्ट्रिचरिंग की गुजारिश की थी।
डिफॉल्टर होने की पीछे ये हैं वजह
1. समय पर प्रोजेक्ट पूरा नहीं हो पाना
2. वित्तीय अनियमितता
3. आरडीए के जमीनों पर विवाद
4. जमीन की रजिस्ट्रिी, नामांतरण पर विवाद
5. अधोसरंचना आधे-अधूरे, जरूरी सुविधाएं नहीं
एक नजर में
कमल विहार निर्माण के लिए राजपत्र में प्रकाशन- वर्ष 2010
निर्माण शुरू-वर्ष 2011
कुल लागत- 600 करोड़ से अधिक
बैंक लोन- 500 करोड़ पहली किश्त, 100 करोड़ दूसरी किश्त
मूलधन जमा- लगभग 150 करोड़
प्रति वर्ष ब्याज-लगभग 65 करोड़
हर तीन महीने के किश्तें- लगभग 40 करोड़
पेनाल्टी- हर महीने 3 से 4 लाख
लगभग 1400 करोड़ की प्रापर्टी
1600 एकड़ के कमल विहार में आरडीए ने लगभग 40 फीसदी से अधिक जमीन भू-स्वामियों को दे दी है, जिसमें उन्हें कुल भू-भाग का 35 फीसदी जमीन आवंटित की गई। इसके साथ ही 50 फीसदी क्षेत्रफल में अधोसंरचना निर्माण जैसे सडक़, गार्डन आदि के लिए आरक्षित रखा गया है। कमल विहार में लगभग 70 लाख वर्गफीट जमीन यानी 150 एकड़ से अधिक जमीन पर आवासीय, व्यवसायिक, मिश्रित आदि जमीनों की खरीदी-बिक्री के लिए रखी गई है।
तीन महीने से किस्तें जमा नहीं
आरडीए ने बीते तीन महीने से बैंक की किस्तें जमा नहीं की है। यह राशि लगभग 120 करोड़ की है। ब्याज और मूलधन मिलाकर आरडीए को हर महीने लगभग 40 करोड़ की किस्त देनी होती है। आरडीए हर तीन महीने में किश्ते जमा करता है, लेकिन बीते तीन महीनों में आरडीए पर 10 लाख से अधिक की सिर्फ पेनाल्टी लगया जा चुका है।