शहर में संचालित लैब संचालक और अस्पताल संचालक डेंगू जांच तो कर रहे हैं, लेकिन इनके पास पॉजिटिव आने के बाद स्वयं कन्फर्म कर दे रहे हैं। हालांकि इसका नियम है कि जब तक एलआईजा टेस्ट न हो इसे संदिग्ध ही माना जाता है। इस कारण पूर्व में स्वास्थ्य विभाग एक बार नोटिस जारी किया था। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग को फुर्सत नहीं है कि लैब अस्पताल जाकर जांच करे कि यहां कितने का डेंगू जांच हुआ और कितना रिपोर्ट विभाग के पास पहुंचा। इससे सही आंकलन नहीं हो पा रहा है। वहीं डेंगू जैसे संवेदनशील बीमारी में भी स्वास्थ्य विभाग लापरवाही बरत रहा है। यहीं कारण है कि डेंगू की सही जानकारी विभाग को नहीं मिल रहा।
डेंगू पीडि़तों की संख्या पर गौर करें तो अगस्त में 14 पाजेटिव मिले थे। वहीं सितंबर में 45 पाजेटिव, अक्टूबर में 40 और नवंबर में अभी तक 42 मरीज मिले चुके हैं। इस माह तेजी से इनकी संख्या बढऩे से लोगों में भय व्याप्त हो गया है। वहीं लोगों का कहना है कि तीन साल पहले इसी तरह तेजी से डेंगू पीडि़त बढ़ रहे थे। इससे कई लोगों की मौत भी हो गई थी। इसके बाद भी नगर निगम और स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही से लोगों में आक्रोश पनप रहा है।
शहर में दर्जनों लैब और अस्पताल संचालित है। यहां हर दिन दर्जनों लोग डेंगू की जांच करा रहे हैं, लेकिन किट में पॉजिटिव आने के बाद अस्पताल संचालक उनका उपचार शुरू कर दे रहे हैं, लेकिन विभाग को इसकी जानकारी नहीं दे रहे हैं। इस कारण डेंगू के मरीजों की स्थिति स्पष्ट नहीं हो रही है। वहीं जानकारी के अनुसार शहर के मात्र दो लैब और दो अस्पताल से ही विभाग को जानकारी दी जा रही है।
विगत दो-तीन दिन से शहर की एक महिला मिशन अस्पताल में भर्ती थी। इस दौरान उसकी तबीयत में सुधार नहीं होने पर उसका डेंगू जांच किया गया तो किट में पॉजिटिव आया। इससे उसे संदिग्ध मानकर उपचार किया जा रहा था। इसी दौरान रविवार को उसकी तबीयत ज्यादा बिगडऩे पर उक्त महिला को जिंदल अस्पताल रेफर किया गया जहां उसका उपचार किया जा रहा है। वहीं शहर के एक पूर्व पार्षद को भी डेंगू होने के कारण जिंदल में उपचार चल रह है।
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