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रायगढ़

गर्भवती महिला आई थी पेट दर्द का इलाज कराने, अस्पताल में ही हो गई डेंगू की शिकार

लगातार बढ़ रहे मरीज: गायनिक वार्ड में पांच दिन से थी भर्ती, शहर में इसी माह 42 मिले डेंगू पॉजिटिव .

रायगढ़Nov 12, 2019 / 09:44 pm

CG Desk

गर्भवती महिला आई थी पेट दर्द का इलाज कराने, अस्पताल में ही हो गई डेंगू की शिकार

गर्भवती महिला आई थी पेट दर्द का इलाज कराने, अस्पताल में ही हो गई डेंगू की शिकार

रायगढ़. गर्भवती महिला के पेट में दर्द होने पर मेकाहारा में भर्ती कराया गया। जहां पांच दिन इलाज चलने के बाद पेट दर्द तो ठीक हो गया, लेकिन वह डेंगू का शिकार हो गई। इसके बाद उक्त महिला को गायनिक वार्ड से डेंगू वार्ड में शिफ्ट कर उपचार किया जा रहा है।
इन दिनों शहर सहित ग्रामीणों क्षेत्रों से भी डेंगू के मरीज आने लगे हैं। साथ ही मेडिकल कालेज अस्पताल के अगल-बगल व वार्ड के नजदीक भरी नालियां और जमा पानी डेंगू के लिए पर्याप्त जगह बन रहा है। इस कारण यहां अन्य बीमारी के उपचार कराने वाले मरीजों को भी डेंगू जैसे खतरनाक बीमारी होने का खतरा बढ़ गया है। साथ ही स्वास्थ्य विभाग क्षेत्र में घूम-घूम कर लोगों को नसीहत दे रहा है कि घर के अगल-बगल पानी जमा न होने दे ताकि डेंगू का लारवा न पनपे। वहीं मेडिकल कलोज अस्पताल के नालियों की सफाई के अभाव में डेंगू मच्छर पनपने लगे हैं।
जानकारी के अनुसार बागबहार थाना क्षेत्र अंतर्गत ग्राम मोड़ाबहला निवासी शकुंतला डनसेना सात माह से गर्भवती है। इस कारण महिला अपने मायका खरसिया में रह रही थी। बीते बुधवार को अचानक उसके पेट में दर्द होने पर परिजनों ने उसे उपचार के लिए मेडिकल कालेज अस्पताल लाए। जहां डाक्टरों ने जांच कर उसे गायनिक वार्ड में भर्ती कर उपचार किया जा रहा था, लेकिन पांच दिन उपचार के बाद पेट दर्द की समस्या से निजात तो मिल गई, लेकिन इसके बाद उसे अस्पताल में ही डेंगू हो गया। इस इसके बाद महिला को सोमवार को डेंगू वार्ड में शिफ्ट कर उसका उपचार किया जा रहा है। इससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि अस्पताल प्रबंधन डेंगू को लेकर कितना सतर्क है।
मनमानी रोकने विभाग नहीं ले रहा रुचि
शहर में संचालित लैब संचालक और अस्पताल संचालक डेंगू जांच तो कर रहे हैं, लेकिन इनके पास पॉजिटिव आने के बाद स्वयं कन्फर्म कर दे रहे हैं। हालांकि इसका नियम है कि जब तक एलआईजा टेस्ट न हो इसे संदिग्ध ही माना जाता है। इस कारण पूर्व में स्वास्थ्य विभाग एक बार नोटिस जारी किया था। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग को फुर्सत नहीं है कि लैब अस्पताल जाकर जांच करे कि यहां कितने का डेंगू जांच हुआ और कितना रिपोर्ट विभाग के पास पहुंचा। इससे सही आंकलन नहीं हो पा रहा है। वहीं डेंगू जैसे संवेदनशील बीमारी में भी स्वास्थ्य विभाग लापरवाही बरत रहा है। यहीं कारण है कि डेंगू की सही जानकारी विभाग को नहीं मिल रहा।
इसी माह मिल चुके हैं 42 मरीज
डेंगू पीडि़तों की संख्या पर गौर करें तो अगस्त में 14 पाजेटिव मिले थे। वहीं सितंबर में 45 पाजेटिव, अक्टूबर में 40 और नवंबर में अभी तक 42 मरीज मिले चुके हैं। इस माह तेजी से इनकी संख्या बढऩे से लोगों में भय व्याप्त हो गया है। वहीं लोगों का कहना है कि तीन साल पहले इसी तरह तेजी से डेंगू पीडि़त बढ़ रहे थे। इससे कई लोगों की मौत भी हो गई थी। इसके बाद भी नगर निगम और स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही से लोगों में आक्रोश पनप रहा है।
प्राइवेट अस्पताल व लैब नहीं दे रहे जानकारी
शहर में दर्जनों लैब और अस्पताल संचालित है। यहां हर दिन दर्जनों लोग डेंगू की जांच करा रहे हैं, लेकिन किट में पॉजिटिव आने के बाद अस्पताल संचालक उनका उपचार शुरू कर दे रहे हैं, लेकिन विभाग को इसकी जानकारी नहीं दे रहे हैं। इस कारण डेंगू के मरीजों की स्थिति स्पष्ट नहीं हो रही है। वहीं जानकारी के अनुसार शहर के मात्र दो लैब और दो अस्पताल से ही विभाग को जानकारी दी जा रही है।
जेएमजे से एक मरीज रेफर
विगत दो-तीन दिन से शहर की एक महिला मिशन अस्पताल में भर्ती थी। इस दौरान उसकी तबीयत में सुधार नहीं होने पर उसका डेंगू जांच किया गया तो किट में पॉजिटिव आया। इससे उसे संदिग्ध मानकर उपचार किया जा रहा था। इसी दौरान रविवार को उसकी तबीयत ज्यादा बिगडऩे पर उक्त महिला को जिंदल अस्पताल रेफर किया गया जहां उसका उपचार किया जा रहा है। वहीं शहर के एक पूर्व पार्षद को भी डेंगू होने के कारण जिंदल में उपचार चल रह है।

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